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पूर्व मंत्री लालजी टण्डन ‘पंडित हरिकृष्ण विधायिका सम्मान’ से राज्यपाल नाईक द्वारा सम्मानित

लखनऊ : हरिकृष्ण अवस्थी संसदीय अध्ययन केन्द्र द्वारा कल हरिकृष्ण जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन भारतेन्दु नाट्य अकादमी में किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल राम नाईक ने संसदीय प्रणाली एवं व्यवस्था में उत्कृष्ट योगदान हेतु पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री लालजी टण्डन का अभिनन्दन ‘पंडित हरिकृष्ण विधायिका सम्मान’ से स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र देकर किया।राज्यपाल ने इस अवसर पर आचार्य हरिकृष्ण अवस्थी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘यहाँ उपस्थित अधिकतर लोग आचार्य हरिकृष्ण से किसी न किसी रूप में परिचित हैं। शायद मैं अकेला हूँ जिसने उनको न देखा है न सुना है पर उनको पढ़ा जरूर है। यह संयोग का दिन है कि आज हरिकृष्ण का जन्मदिवस भी है, गुरू पूर्णिमा है तथा पूर्व राष्ट्रपति डाॅ0 कलाम की तीसरी पुण्यतिथि भी है। मैं इस अवसर पर दोनों महापुरूषों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।’
नाईक ने कहा कि आचार्य अवस्थी जी के बारे में जो पढ़ा और सुना है, हैरत होती है। लखनऊ विश्वविद्यालय में उन्होंने शिक्षा ग्रहण की, छात्रसंघ के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गये, उसी विश्वविद्यालय में शिक्षक रहे और बाद में उसी विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। 6 बार लगातार विधान परिषद में स्नातक प्रतिनिधि चुनकर गये। मैं 28 विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति हूँ। एक कुलपति पद के लिये सैकड़ों आवेदन पत्र प्राप्त होते हैं, अनेकों सिफारिशें आती हैं। उन्होंने कहा कि शायद उनके जैसा कोई व्यक्ति दूसरा नहीं होगा जिसने कुलपति और जनप्रतिनिधि दोनों के दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन किया हो।
राज्यपाल ने कहा कि पंडित हरिकृष्ण अवस्थी संसदीय अध्ययन केन्द्र का निर्माण जल्द से जल्द होना चाहिए। निर्माण से जुड़ी सभी आवश्यकताओं को जल्द पूरा करके महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर केन्द्र का शिलान्यास जल्द किया जाये। उनको याद रखने के लिये अध्ययन केन्द्र की कल्पना एक स्मारक की तरह है। उन्होंने आश्वस्त किया कि निर्माण में उनके सहयोग की आवश्यकता होगी तो वे राज्य सरकार से बात करेंगे। निर्माण कार्य में ‘काॅस्ट ओवर रन’ और ‘टाइम ओवर रन’ का ध्यान रखा जाये। बाणसागर नहर परियोजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि स्व0 प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई ने 1978 में जिस परियोजना का शिलान्यास किया था वह 2018 में पूरी हुई, जिसकी लागत रूपये 320 करोड़ की जगह रूपये 3,420 करोड़ हो गयी।
राज्यपाल ने लालजी टण्डन को बधाई देते हुये कहा कि लालजी टण्डन को देखकर लखनऊ का परिचय होता है। लालजी टण्डन ने संसदीय परम्पराओं का सदैव ध्यान रखा। पार्षद से लेकर विधायक, मंत्री एवं सांसद तक का सफर उनकी विशेषता है। उन्होंने कहा कि योग्य संस्था ने योग्य व्यक्ति का सम्मान किया है। संसदीय परम्पराओं के प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
पूर्व सांसद लालजी टण्डन में पंडित हरिकृष्ण अवस्थी को याद करते हुए कहा कि आचार्य अवस्थी लखनऊ विश्वविद्यालय में उनके गुरू थे तथा विधान परिषद में लम्बा साथ रहा है। पार्टी अलग होने के बावजूद भी उनके स्नेह में कोई कमी नहीं थी। उनका स्नेहिल और रौद्र रूप दोनों देखा है। वे विधायी परम्परा के जानकार, योग्य एवं अनुभवी व्यक्ति थे। उन्होंने आचार्य अवस्थी से जुडे़ कई संस्मरण भी सुनाये।
पूर्व विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि आचार्य अवस्थी से पुराने संबंध रहे हैं। 1980 में उनसे पहली बार भेंट हुई थी। वे बिना लाग-लपेट के अपनी बात कहते थे। कार्यक्रम में पूर्व विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, पूर्व मंत्री डाॅ0 अम्मार रिज़वी, पंडित हरिकृष्ण संस्थान की अध्यक्ष डाॅ0 आभा अवस्थी, पूर्व कुलपति गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रो0 आर0के0 मिश्रा व अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।

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