लखनऊ: सदी के सबसे लंबे चंद्रग्रहण को देश और दुनियाभर में देखा गया। अपने विभिन्न चरणों के दौरान इस चंद्रग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 55 मिनट रही। अमेरिकी अंतरिक एजेंसी नासा का दावा है कि यह 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण रहा। खगोलशास्त्रियों का कहना है कि इस चंद्रग्रहण को देखने के लिए किसी उपकरण की जरूरत नहीं हुई। देश के अधिकांश हिस्सों में इसे बिना टेलीस्कोप से देखा जा सका। हालांकि मौसम खराब होने की वजह से कई जगहों पर बादलों की वजह से लोग इस अद्भुत खगोलीय घटना को नहीं देख सके।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चंद्रग्रहण उत्तरी अमरीका को छोड़ पृथ्वी के अधिकांश भागों में देखा गया लेकिन संपूर्ण चंद्र ग्रहण यूरोप के अधिकांश हिस्से, ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार, चीन, ताइवान, मेक्सिमो, सऊदी अरब आदि देशों में दिखाई दिया। भारत में यह दिल्ली, पुणे, बेंगलुरु और मुंबई समेत सभी शहरों में देखा गया।
इसलिए कहा जाता है ‘ब्लड मून’
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस खगोलीय घटना में चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य तीनों एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं। इससे चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरता है, जिसकी वजह से सूर्य की रोशनी उस तक नहीं पहुंच पाती। इस दौरान सूर्य के प्रकाश में मौजूद विभिन्न रंग पारदर्शी वातावरण में बिखर जाते हैं, लेकिन लाल रंग के साथ ऐसा नहीं होता और वह चांद तक पहुंच जाता है, जिससे चांद का रंग लाल नजर आता है और इसे ही ‘ब्लड मून’ कहते हैं।
27 जुलाई को बीते चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी से सर्वाधिक दूरी पर रहा। अमूमन चांद से धरती की दूरी 3.84 लाख किलोमीटर है, लेकिन चंद्रग्रहण के दौरान चांद की पृथ्वी से अधिकतम दूरी 4,06,700 किलोमीटर रही। इस घटना को अपोगी कहा जाता है।
इस साल होंगे पांच ग्रहण
साल 2018 में कुल पांच ग्रहण होंगे। इसमें तीन सूर्यग्रहण जबकि दो चंद्रग्रहण हैं। ये दोनों चंद्रग्रहण अब पूरे हो चुके हैं, क्योंकि गत 31 जनवरी को पहला चंद्रग्रहण दिखाई दिया था। वैज्ञानिकों का मानना है अगला बड़ा चंद्रग्रहण 9 जून 2123 में दिखाई देगा।