श्रीनगर : पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के बाद पीपुल्स कांफ्रेंस के लीडर सज्जाद लोन ने भी बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. इसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी. राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गई है. एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है. इससे कुछ ही समय पहले जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन से जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था.
महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके 29 सदस्य हैं. उन्होंने लिखा, ‘आपको मीडिया की खबरों में पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है. नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं. अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है.’
उधर, महबूबा के दावे के कुछ देर बाद ही पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के लीडर सज्जाद लोन ने भी राज्यपाल को चिट्ठी भेजने की बात कही. सज्जाद लोन का दावा है कि उन्हें बीजेपी के 26 विधायकों के अलावा 18 अन्य विधायक भी समर्थन कर रहे हैं और यह आंकड़ा बहुमत का है. जम्मू कश्मीर में 87 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 44 है.
सज्जाद लोन ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को एक पत्र लिखकर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ें से अधिक विधायकों का समर्थन है. उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में सरकार गठन के लिए फोन पर हुई हमारी बातचीत के बाद मैं जम्मू कश्मीर राज्य विधानसभा में भाजपा और 18 अन्य निर्वाचित सदस्यों के समर्थन से सरकार बनाने का औपचारिक रूप से दावा पेश करता हूं….’ लोन ने कहा था कि जब उनसे कहा जाएगा तब वह भाजपा विधायक दल तथा अन्य सदस्यों के समर्थन का पत्र पेश करेंगे.
उधर, उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया है, नेशनल कॉन्फ्रेंस 5 महीने से विधानसभा भंग करने को कह रही है. ये संयोग नहीं हो सकता कि महबूबा मुफ़्ती साहिबा की दावे की चिट्ठी के चंद मिनट में विधान सभा को भंग करने का आदेश आ गया.