नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं को उभारने और उन्हें आधुनिक प्रशिक्षण देने के लिए देश में ‘खेलो इंडिया सेंटर’ की संख्या एक हजार की जायेगी । मोदी ने टोक्यो 2020 पैरालम्पिक खेल के लिए भारतीय पैरा-एथलीट दल के साथ बातचीत में कहा कि ऐसे कितने ही युवा हैं जिनके भीतर कितने ही मेडल लाने की योग्यता है।
आज देश उन तक खुद पहुँचने की कोशिश कर रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आज देश के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में 360 ‘खेलो इंडिया सेंटर्स’ बनाए गए हैं, ताकि स्थानीय स्तर पर ही प्रतिभाओं की पहचान हो, उन्हें मौका मिले। आने वाले दिनों में इन सेंटर्स की संख्या बढ़ाकर एक हजार तक की जाएगी। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के सामने एक और चुनौती संसाधनों की भी होती थी।
खिलाड़ी खेलने जाते थे तो अच्छे ग्राउंड, अच्छे उपकरण नहीं होते थे। इसका भी असर खिलाड़ी के मनोबल पर पड़ता था। वो खुद को दूसरे देशों के खिलाड़ियों से कमतर समझने लग जाते थे। लेकिन आज देश में स्पोर्ट्स से जुड़े इनफ्रास्ट्रक्चर का भी विस्तार किया जा रहा है। देश खुले मन से अपने हर एक खिलाड़ी की पूरी मदद कर रहा है।
‘टार्गेट ओलम्पिक पोडियम स्कीम’ के जरिए भी देश ने खिलाड़ियों को जरूरी व्यवस्थाएं दीं, लक्ष्य निर्धारित किए। उसका परिणाम आज हमारे सामने है। प्रधानमंत्री ने कहा कि खेलों में अगर देश को शीर्ष तक पहुँचना है तो हमें उस पुराने डर को मन से निकालना होगा जो पुरानी पीढ़ी के मन में बैठ गया था।
किसी बच्चे का अगर खेल में ज्यादा मन लगता तो घर वालों को चिंता हो जाती थी कि ये आगे क्या करेगा? क्योंकि एक-दो खेलों को छोड़कर खेल हमारे लिए सफलता या करियर का पैमाना ही नहीं रह गए थे। इस मानसिकता को, असुरक्षा की भावना को तोड़ना हमारे लिए बहुत जरूरी है।