लखनऊ: पीएम मोदी पांच दिन के इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर दौरे पर हैं. तीनों देशों में सबसे खास इंडोनेशिया दौरा है. सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सबांग बंदरगाह के आर्थिक और सैन्य इस्तेमाल की मंजूरी इंडोनेशिया ने भारत को दे दी है. इसे चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. सामरिक दृष्टिकोण से से बेहद खास यह बंदरगाह द्वीप सबांग अंडमान निकोबार द्वीप समूह से 710 किलोमीटर की दूरी पर है. चीन ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई थी.
सामरिक लिहाज से देखें तो सबांग द्वीप के इस बंदरगाह की गहराई 40 मीटर की है जिसे पनडुब्बियों समेत हर तरह के जहाजों के ठहरने के लिए उपयुक्त माना जाता है. वर्ल्ड वॉर 2 के समय जापान ने इस द्वीप का इस्तेमाल अपने सैन्य ठिकाने के रूप में किया था. साथ ही यहां अपने जहाज खड़े किए थे. चीन ने सबांग इलाके के इस्तेमाल और विकास के प्रति दिलचस्पी दिखाई थी.
इंडोनेशिया ने यह गिफ्ट मोदी के दौरे से पहले ही भारत को दे दिया था. प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की यह पहली इंडोनेशिया यात्रा है. राष्ट्रपति जोको विडोडो ने उन्हें न्योता दिया था. आपको बता दें कि भारत और इंडोनेशिया ने सबांग में सहयोग के प्रस्ताव पर 2014-15 में सोचना शुरू किया था. हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती पैठ ने भारत और इंडोनेशिया की चिंता बढ़ा दी थी और इसी वजह से सबांग को लेकर सहमति बनी है. पंडजैतान ने चीन की वन बेल्ट एंड वन रोड इनिशिएटिव को लेकर फ़िक्र जताई थी. आपको बता दें इंडोनेशिया चीन के करीब भी है. वह चीन के वन बेल्ट और वन रोड इनिशिएटिव फोरम में हिस्सा ले चुका है. हालांकि इंडोनेशिया नहीं चाहता कि बीआरआई उसे कंट्रोल करे.
चीन और इंडोनेशिया के बीच साउथ चाइना सी को लेकर भी विवाद है. साउथ चाइना सी के मुद्दे पर भले ही इंडोनेशिया एक्टिव प्लेयर नहीं है, लेकिन नटुना द्वीप इलाके पर उसका चीन से विवाद है. ऐसे में साउथ चाइना सी विवाद और बीआरआई के मुद्दे को देखते हुए इंडोनेशिया ने भारत के साथ जाने का निर्णय लिया.
इंडोनेशिया के बाद मलेशिया में मोदी नए निर्वाचित सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से मुलाक़ात करेंगे जबकि सिंगापुर में छात्रों और सीईओ से भेंट के अलावा क्लिफ़र्ड पियर जाएंगे जहां महात्मा गांधी की अस्थियां विसर्जित की गई थी. मोदी सरकार ने भारत की एक्ट ईस्ट नीति को शुरू किया था जिसका उद्देश्य एशिया प्रशांत क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करना है. माना जा रहा है कि पीएम के दौरे से भारत की एक्ट ईस्ट नीति को मजबूती मिलेगी.