नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र हमें किसी की आलोचना करने का अधिकार देता है। ऐसे में किसी की आलोचना को देशद्रोह की तरह देखना या ऐसे करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करना गलत है। शशि थरूर ने इस पूरे मामले पर ट्वीट कर अपनी बात रखी। उन्होंने पीएम मोदी के एक पुराने भाषणा का हवाले देते हुए कहा कि पीएम जी आपने वर्ष 2016 में यूएस कांग्रेस को संबोधित करते हुए भारत के संविधान को पवित्र किताब बताया था। और कहा था कि भारत का संविधान यहां रहने वाले सभी नागरिकों को विश्वास की स्वतंत्रता, भाषण और सभी नागरिकों की समानता का अधिकार देता है। शशि थरूर ने आगे लिखा कि भारत के नागरिक के तौर पर हम चाहते हैं कि बगैर किसी डर के आपके समक्ष राष्ट्र महत्व से जुड़ी बातें रखे पाएं, ताकि आप तक यह बातें पहुंचे और फिर आप उसपर कोई फैसला ले सकें। हमें उम्मीद करते हैं कि आप भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करेंगे ताकि ‘मन की बात’ ‘मौन की बात न’ बन पाए। बता दें कि इस साल जुलाई में देश के कुछ लेखकों और अन्य बड़ी हस्तियों ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर देश में हो रही लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता जताई थी। पीएम मोदी को लिखे इस पत्र के बाद बिहार में इन सभी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। गौरतलब है कि देश में बढ़ रहे मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या) के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखने वाले रामचंद्र गुहा, मणि रत्नम और अपर्णा सेन समेत करीब 50 लोगों के खिलाफ को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस ने यह जानकारी दी थी। स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो महीने पहले दायर की गई एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्य कांत तिवारी के आदेश के बाद यह प्राथमिकी दर्ज हुई थी। ओझा ने कहा था कि सीजेएम ने 20 अगस्त को उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी। इसके बाद गुरुवार को सदर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज हुई। ओझा का आरोप था कि इन हस्तियों ने देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को कथित तौर पर धूमिल किया। पुलिस ने बताया था कि प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गयी है। इसमें राजद्रोह, उपद्रव करने, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित धाराएं लगाई गईं हैं।