अशाेक यादव, लखनऊ। मुलायम सिंह यादव का परिवार देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा है। इस परिवार में अब दो फाड़ हो गए है, जिसके चलते इस बार आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एक ही परिवार से दो रथ निकलेंगे।
पहली रथ यात्रा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और दूसरी प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की अगुवाई में निकलेगी। इस रथ के भी अब कई मायने निकाले जा रहे है। मुलायम सिंह सपा के संरक्षक है और प्रसपा अध्यक्ष के बड़े भाई है।
इसके चलते सपा और प्रसपा में दोनों ही जगह उन्हें पूरा सम्मान और पार्टी कार्यालय से लेकर बैनर तक में जगह दी गई है। हालांकि शिवपाल की ओर से सपा में जाने के अथक प्रयास भी किए गए। इटावा प्रवास के दौरान शिवपाल ने बीते 11 अक्टूबर तक भतीजे अखिलेश यादव को समय दिया था कि यदि वे ससम्मान पार्टी में बुलाएंगे और उनके उम्मीदवारों को भी टिकट देंगे तो वापसी कर लेंगे।
वो गठबंधन को लेकर आशान्वित थे लेकिन अखिलेश की ओर से केवल उनकी जसवंत नगर सीट ही देने को कहा गया। इसके अलावा उन्हें और कोई भी सीट देने को वे तैयार नहीं हुए। सूत्रों के अनुसार ऐसे कई लोग भी प्रसपा में पदाधिकारी है, जिनको अखिलेश बिल्कुल भी पसंद ही नहीं करते है। ऐसे में उन्हें टिकट देना बहुत दूर की बात है।
शिवपाल भी अब अड़ गए है कि उन्हें भी अपनी पार्टी के पदाधिकारियों के प्रति जिम्मेदारी निभानी है। जो लोग पार्टी से जुड़े हुए है, उनमें जिसे जिताऊ उम्मीदवार समझ रहे है, उसको टिकट देंगे। माना जा रहा है कि एक ही परिवार के जब दो लोग की रथ यात्रा निकाल रहे है, तो निश्चित रूप से वोट भी बटेंगे और इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में दिखेगा। कानपुर, इटावा, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी और कन्नौज समेत आसपास के जिले के लोग काफी प्रभावित होंगे।
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चाचा-भतीजे मंगलवार को चुनावी शंखनाद करेंगे। इसमें प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह अपनी सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा की शुरुआत मथुरा स्थित वृंदावन से और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समाजवादी विजय यात्रा कानपुर स्थित गंगापुल से करेंगे। प्रसपा का मानना है कि भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि से शुरुआत करने से उनको लाभ मिलेगा। जबकि सपा की मानें तो बीते दो बार से जब भी यात्रा कानपुर से शुरू हुई तो सपा सरकार बनी है।