नई दिल्ली। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) पर्यावरण विनाश मंत्रालय की तरह बर्ताव कर रहा है। एक पर्यावरणविद द्वारा प्रदूषण के विभिन्न पहलुओं को लेकर 1985 में दायर जनहित याचिका पर न्याय मित्र के तौर पर शीर्ष अदालत की सहायता कर रहे साल्वे ने न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ से कहा कि केंद्र ने ‘कार लॉबी’ के दबाव में अपने हलफनामे को ‘नरम’ किया है। उन्होंने हालांकि केंद्र के हलफनामे की सामग्री के बारे में कुछ भी दलील नहीं रखी।
साल्वे ने कहा, ‘यह व्यथित होकर यह कह रहा हूं कि एमओईएफ पर्यावरण तबाही मंत्रालय की तरह बर्ताव कर रहा है।’ हालांकि, केंद्र की तरफ से उपस्थित सॉलीसीटर जनरल रंजीत कुमार ने इस तरह के किसी दबाव या प्रभाव से इंकार किया, जिसका दावा साल्वे ने किया।