पटना : पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले में रहने को लेकर नोटिस जारी किया. कोर्ट ने 4 हफ्ते के अंदर उनसे जवाब तलब किया है. न्यायालय ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से जवाब मांगा है कि आखिर किस आधार पर इन को आजीवन सरकारी बंगले की सुविधा प्राप्त है? पटना उच्च न्यायालय ने जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी किया है उनमें नीतीश कुमार, राबड़ी देवी, जीतन राम मांझी, जगन्नाथ मिश्र और सतीश प्रसाद सिंह शामिल हैं. इन्हें पूर्व मुख्यमंत्री होने की हैसियत सरकारी बंगले की सुविधा मिली हुई है.दिलचस्प है कि मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार को 1, अणे मार्ग का बंगला आवंटित है जो कि आधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री आवास के तौर पर जाना जाता है.
मगर उनके नाम पर 7, सर्कुलर रोड बंगला भी आवंटित है जो उन्हें तब आवंटित किया गया था, जब उन्होंने कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया गया था. न्यायाधीश अमरेंद्र कुमार शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की डबल बेंच ने सोमवार को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के 5, देशरत्न मार्ग बंगला खाली नहीं करने को लेकर दायर की गई याचिका खारिज कर दी थी. साथ ही सवाल उठाया था कि आखिर किस नियम के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला आवंटित किया गया है? तेजस्वी के मामले की सुनवाई करने के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि बिहार में बंगला आवंटन की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है.
एक ही व्यक्ति के नाम पर दो-दो बंगले आवंटित हैं. कोर्ट ने टिप्पणी की कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार उत्तर प्रदेश में सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को पिछले साल अपना सरकारी बंगला खाली करना पड़ा था. आखिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिहार में क्यों नहीं लागू किया जा रहा है? इस पूरे मामले में अगली सुनवाई 11 फरवरी को होनी है. कोर्ट ने आज यह भी सवाल पूछा कि जब सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुरक्षा प्रदान की गई है तो आखिर वह अपने निजी आवास में क्यों नहीं रहते हैं?