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पंजाब में थमेगी सियासी उठा-पटक! कांग्रेस समिति ने सोनिया को सौंपी रिपोर्ट

नई दिल्ली। कांग्रेस की पंजाब इकाई की सियासी उठा-पटक को दूर करने की कावायद तेज कर दी गई है। इसको दूर करने के मकसद से गठित तीन सदस्यीय समिति ने गुरूवार को अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी। अगले कुछ दिनों में आलाकमान की ओर से राज्य में कोई नया फार्मूला तय किए जाने की संभावना है।

सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली समिति ने पंजाब में सरकार में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई सिफारिश नहीं की है, हालांकि उसने यह जरूर कहा है कि पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को सरकार या संगठन में उपयुक्त स्थान दिया जाए।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, समिति ने कांग्रेस के प्रदेश संगठन में बदलाव के समय सभी क्षेत्रों और समाज के सभी वर्गों को जगह देने की पैरवी भी की है। समिति ने हाल ही में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू, कई मंत्रियों, सांसदों और विधायकों समेत कांग्रेस के पंजाब से ताल्लुक रखने वाले 100 से अधिक नेताओं से उनकी राय ली थी।

खड़गे के अलावा कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत तथा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल इस समिति में शामिल हैं। गौरतलब है कि कुछ सप्ताह पहले मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पार्टी नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली थी। विधायक परगट सिंह और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ अन्य नेताओं ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

पिछले कुछ महीने से जारी राजनीतिक संकट की धुरी नवजोत सिंह सिद्धू के इर्द-गिर्द घूम रही है। यह चर्चा चली आ रही है कि सिद्धू सरकार में उप मुख्यमंत्री या फिर संगठन में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की भूमिका चाहते हैं। हालांकि पूर्व क्रिकेटर की तरफ से बार-बार यह कहा जाता रहा है कि वह पद के लिए नहीं, बल्कि पंजाब एवं पंजाबियों के अधिकार की बात करते हैं।

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह आलाकमान को अपने इस रुख से पहले ही अवगत करा चुके हैं कि उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सिख को देने से अच्छा संकेत नहीं जाएगा क्योंकि इस समाज से ही मुख्यमंत्री खुद हैं तथा हिंदू समुदाय को भी प्रतिनिधित्व देना है।

फिलहाल कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान सिद्धू को अहम जिम्मेदारी देने की स्थिति में, दलित (हिंदू) समुदाय के किसी नेता को भी सरकार में अहम जिम्मेदारी देने पर विचार कर सकता है ताकि अगले चुनाव में सामाजिक समीकरण को साधा जा सके।

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