सिवनी जिलें के घँसोर जनपद के अंतर्गत शिकारा पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए कथित भ्रष्टाचार पर विधानसभा में पूर्व वित्त मंत्री के सवाल पर पंचायत मंत्री का असंतोषजनक उत्तर
अनुपूरक न्यूज एजेंसी, जबलपुर। विदित हो कि प्रदेश सरकार में पूर्व वित्त मंत्री एवं जबलपुर पश्चिम से विधायक तरुण भनोत के द्वारा सिवनी जिलें के घँसोर जनपद अंतर्गत शिकारा ग्राम पंचायत में सरपंच, सचिव और जनपद के अधिकारियों के मिलीभगत से पंचायत के लगभग दर्जनभर से अधिक जनजाति लाभार्थियों के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास आवंटन में हुए कथित भ्रष्टाचार के संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं आर्थिक अपराध शाखा को लिखित शिकायत कर निष्पक्ष जांच का आग्रह किया गया था | शिकायत की जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि आवास योजना में सरपंच सचिव व जनपद के अधिकारियों के मिलीभगत से इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया और प्रदेश सरकार द्वारा इस भ्रष्टाचार में बड़े मगरमच्छों को छोड़कर पंचायत सचिव स्तर के कर्मचारी पर निलंबन की कार्यवाही कर पूरे मामले की लीपापोती की जा रही हैं | भनोत ने बताया कि इस कथित भ्रष्टाचार के मामले को उनके द्वारा बजट सत्र के दौरान विधानसभा में ध्यानकर्षण के माध्यम से भी उठाया गया था | ध्यानकर्षण के जवाब में जनपद घँसोर के द्वारा जो जवाब विधानसभा को दिया गया हैं, उस जवाब में कई तरह के विरोधाभास हैं | इसी पंचायत में दो ऐसे भी लाभार्थी हैं जिनकी मृत्यु आवास आवंटन के पूर्व हो चुका था किन्तु उनके नाम पर आवास का आवंटन कर उस मृत व्यक्ति के नाम से स्वीकृत राशि को किसी और बैंक खाते में जमा कर नगद आहरण कराने का मामला भी प्रकाश में आया हैं | श्री भनोत ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की फ्लैग्शिप योजन हैं, किन्तु प्रदेश सरकार की उदासीनता और शासकीय अधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण इस योजना के पात्र लाभार्थियों के साथ घोर अन्याय किया जा रहा हैं | इस योजना के अंतर्गत हुए कथित भ्रष्टाचार में न केवल घोर अनिमितताएं सामने आई हैं बल्कि जनपद के जवाब से प्रदेश के सबसे बड़े पंचायत विधानसभा को भी गुमराह करने का प्रयास किया गया हैं | उन्होंने बताया कि विधानसभा को गुमराह करने वाली जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मामले को विधानसभा के विशेषाधिकार समिति को सौंपने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र के माध्यम से कार्यवाही करने का भी आग्रह किया गया था | भनोत ने इस कथित भ्रष्टाचार पर विधानसभा में उनके अतारांकित प्रश्न पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के दिए गए जवाब पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए बताया कि इस भ्रष्टाचार के मास्टरमाइन्ड जिस पंचायत सचिव पर शासन द्वारा निलंबन की कार्यवाही की गई थी, उसके द्वारा माननीय उच्च न्यायालय से स्थगन ले लिया गया और उसे उसी पंचायत में सचिव के तौर पर पुनः पदस्थ कर दिया गया हैं | यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि प्रदेश सरकार के पास सक्षम विधि-व्यवस्था होने के बावजूद इतने बड़े और गंभीर भ्रष्टाचार में संलिप्त सचिव द्वारा अपने निलंबन के खिलाफ न्यायालय में याचिका दी जाती है और न्यायालय द्वारा उसके निलंबन पर स्थगन दे दी जाती हैं और उसे पुनः वही जिम्मेदारी दी जाती हैं जिसमे वह स्पष्ट दोषी सिद्ध हुआ हों |