नैनीताल। कोरोना संक्रमण काल के बीच उत्तराखंड में होने वाली चारधाम यात्रा के मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव स्वास्थ्य सचिव समेत पर्यटन सचिव को जमकर फटकार लगाई है।
साथ ही राज्य सरकार के द्वारा उत्तराखंड में 1 जुलाई से चारधाम यात्रा को शुरू करने के कैबिनेट के फैसले पर रोक लगा दी है। वहीं कोर्ट में श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए केदारनाथ बद्रीनाथ गंगोत्री-यमुनोत्री समेत अन्य धामों के दर्शन के लिए लाइव प्रसारण की व्यवस्था करने के आदेश दिए हैं।
आज मामले में सुनवाई के दौरान प्रदेश के मुख्य सचिव स्वास्थ्य सचिव समेत पर्यटन सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा कोर्ट में पेश हुए और सभी के द्वारा अपना जवाब कोर्ट में पेश किया, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते मुख्य सचिव,प र्यटन सचिव व पर्यटन सचिव को अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए है।
कोर्ट ने राज्य सरकार के जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा है कि आखिर कोरोना की तीसरी लहर और कोरोना के डेल्टा वेरियंट के दौरान श्रद्धालुओं को क्या सुविधा दी जाएंगी और कोरोना वायरस फैलने से कैसे रोका जाएगा।
हाई कोर्ट में पेश किए गए जवाब पर सरकार की ओर से जो शपथ पत्र पेश किया गया, उसे कोर्ट ने हरिद्वार कुंभ की एसओपी की कॉपी बताते हुए खारिज कर दिया और कोर्ट ने कहा कि सरकार के द्वारा पेश किए गए शपथ पत्र में हरिद्वार कुंभ में पुलिस की नियुक्तियों का हवाला दिया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार चार धाम यात्रा के लिए कितनी तैयार है।
वहीं, चारधाम यात्रा को लाइव दिखाने के मामले पर सरकार के द्वारा को बताया गया कि मंदिर से लाइव का तीर्थ पुरोहित लगातार विरोध करते हैं। लिहाजा लाइव प्रसारण नहीं किया जा सकता। इस पर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई और कहा कि लाइव प्रसारण की जिम्मेदारी सरकार की है, इसलिए जल्द से जल्द इसकी व्यवस्था करें क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आदेश पारित कर जगन्नाथ यात्रा को लाइव प्रसारण के द्वारा दिखाया गया था।