चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बृहस्पतिवार को राज्य की विधानसभा में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण राष्ट्रहित में नहीं है और उनकी सरकार सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के केंद्र के प्रयास का विरोध करेगी।
स्टालिन ने कहा कि भारत के सार्वजनिक उपक्रम सार्वजनिक संपत्ति हैं जिन्हें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है और ये छोटे व सूक्ष्म उद्यमों का आधार भी हैं।
उन्होंने कहा, ”हमारा मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचना या पट्टे पर देना राष्ट्रहित में नहीं है।” उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ सार्वजनिक बेहतरी और कल्याण के बड़े लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए काम करती हैं और केवल लाभ कमाना ऐसे उद्यमों का मकसद नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की प्रवृत्ति को लेकर केंद्र सरकार के प्रति अपनी सरकार के विरोध को व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महीनों पहले कहा था कि ”सरकार का काम कारोबार करना नहीं है।” सरकार ने कहा था कि चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर वह सभी सार्वजनिक उपक्रमों और अन्य क्षेत्रों का निजीकरण करना चाहती है।