सीतापुर। भीषण धूप, गर्म हवाएं कहर ढा रहे हैं। गांवों में बने तालाब सूखे हैं। नहर, माइनर भी सूखे पड़े हैं। पशु, पक्षियों के सामने पानी का संकट है, लेकिन तालाबों को अभी तक भराया नहीं जा सका है। पानी की तलाश में जंगली जानवर बस्तियों तक भटक रहे हैं। कहीं यह शिकार कर रहे हैं तो कहीं स्वयं शिकार हो रहे हैं। वहीं अधिकारी तालाबों को आचार संहिता खत्म होने के बाद भराने की बात कर रहे हैं। ऐसे में जल संकट पशु, पक्षियों की जान पर भारी पड़ रहा है। अटरिया क्षेत्र सिधौली में कहीं भी तालाबों को भराया नहीं गया है। पशु पालकों के सामने अपने पशुओं को पानी पिलाने का संकट बढ़ता जा रहा है।
अटरिया, कसावां, कुंवरपुर, मनवा, नीलगाव, ससेना, जयपालपुर, अंबरपुर, पहाड़ापुर, गोधना आदि गांवों में सरकारी धन से खोदे गए तालाब सूखे पड़े हैं और धूल उड़ रही है।थानगांव रेउसा विकास क्षेत्र में तालाब सूखे हैं। मनरेगा से करोड़ों खर्च कर तालाब गांव-गांव खोदे गए, लेकिन जल संचयन नजर नहीं आता। सूखे तालाबों में एक बूंद पानी नहीं है। मेउड़ी सेल्हवा, भदेवा, सरैंया छतौना, सरैंया भटपुरवा आदि में तालाब बने हैं लेकिन एक बूंद पानी तक नजर नहीं आ रहा। गांव के अनूप, कल्लू चौहान, निजामुद्दीन, आशाराम ने बताया कि हैंडपंप खराब हैं, पशुओं का कैसे पानी पिलाएं। भीषण गर्मी में पशु, पक्षी मर रहे हैं। बीडीओ रेउसा डॉ. सुशांत सिंह ने बताया कि आचार संहिता खत्म होने के बाद तालाबों को भराया जाएगा।