छत्तीसगढ़: भारतीय जनता पार्टी प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रदेश सरकार द्वारा नान घोटाले के मद्देनजर एसआईटी गठित किए जाने के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, यह प्रकरण पूर्व से ही न्यायालय के अधीन है यदि कोई सबूत उनके पास हो तो इन्हें कोर्ट में पेश करना चाहिए। यह तो आरोपी का सहारा लेकर बदले की राजनीति का संकेत दे रहे हैं, उन्होंने इसे प्रतिशोध की राजनीति करार दिया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, प्रदेश सरकार प्रदेश के सौजन्यतापूर्ण राजनीतिक वातावरण को प्रदूषित करने की दिशा में बढ़ रही है। नान घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री बघेल शुरू से पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर अपने इरादे जताते रहे हैं और एक तथ्यहीन मामले को तूल देकर बदलापुर की राजनीति कर रहे हैं।
इस मामले में विपक्षी नेता के तौर पर स्वयं श्री बघेल और नेता प्रतिपक्ष रहे टीएस सिंहदेव, अनिल टुटेजा की गिरफ्तारी की पुरजोर मांग करते रहे। इस मामले में 12 अप्रैल 2017 को सिंहदेव ने अपने पत्र क्रमांक 395 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी टुटेजा पर कार्रवाई की मांग की थी। आज उन्हीं टुटेजा के कहने पर बघेल व सिंहदेव राजनीतिक प्रतिशोध की व्यूह रचना कर रहे हैं। अपने षड्यंत्र के तहत मुख्यमंत्री श्री टुटेजा के साथ सरकारी गवाह जैसा व्यवहार कर आरोपी की आड़ ले रहे हैं। कौशिक ने कहा, मुख्यमंत्री इस मामले में कुछेक पन्ने पर लिखे गए नामों के आधार पर अपनी मिथ्या-कल्पना को स्थापित करने में जुटे हैं। जब चालान कोर्ट में प्रस्तुत हो चुका है, तब एसआईटी गठित करने से राजनीति की गंध आ रही है। स्पष्ट है कि सरकार प्रतिशोध की भावना से किसी को फंसाने की साजिश कर रही या किसी को बचाने के लिए जांच की दिशा भटकाने एसआईटी का गठन किया है।
कौशिक ने कहा, जो व्यक्ति खुद आपराधिक साजिश के आरोप में जमानत पर हो, वह दूसरों पर ऊंगली उठाए, यह तो विडंबना ही है। पूर्ण शराबबंदी का शोर मचाकर सत्ता में आने के बाद इस मसले पर सरकार के रुख पर निशाना साधते हुए कौशिक ने कहा, सरकार प्रदेश की जनता, खासकर मातृशक्ति के साथ भी धोखाधड़ी करने पर आमादा है। जब कांग्रेस ने पूर्ण शराबबंदी का वादा किया, तो फिर अब अध्ययन करके इस मामले में निर्णय लेने की दुविधा से सरकार क्यों ग्रस्त है। पूर्ण शराबबंदी करनी है, तो वह तो एक आदेश के साथ ही हो सकती है। उन्होने आगे कहा कि सवाल यह भी है कि अगर सरकार अब इस मसले पर अध्ययन करने की बात कर रही है, तो क्या घोषणापत्र में बगैर अध्ययन किए ही उसने वह वादा कर लिया था। इससे साफ है कि कर्जमाफी में किसानों के बाद प्रदेश सरकार अब मातृशक्ति की भावनाओं और उससे जुड़े जनादेश का भी अपमान कर रही है। भाजपा का तो शुरू से यह विश्वास रहा है और अब भी है कि यह सरकार अपने वादों पर अमल करने का साहस न तो दिखा सकती है और न ही दिखाएगी।