राहुल यादव, जयपुर । राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि महात्मा गांधी को उनके कार्यों ने इतनी ऊंचाई प्रदान की हैं कि आज उनके जन्म के 150 वर्ष बाद भी हमें उनके आदर्शों से न केवल प्रेरणा मिल रही है बल्कि भावी पीढ़ी के लिए भी इसमें संदेश निहित हैं । गांधी जी ने स्वतंत्र भारत में अपने जीवन का बहुत कम समय व्यतीत किया । इसके बावजूद हम देखते हैं कि आज देश का विकास और विकास की संकल्पना उनके स्वदेशी ग्राम स्वराज्य और स्वावलंबन जैसे सिद्धान्तों के बिना अधूरी है । खाद्यान्न की कमी को दृष्टिगत रखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश की जनता का आहवान किया कि वे सप्ताह में एक दिन का व्रत रखे ताकि उपलब्ध खाद्यान्न अधिक समय तक चल सके एवं किसानों के आत्मविश्वास में वृद्धि हो सके । सेना के मनोबल को बढाने तथा सीमित संसाधनों के बावजूद युव में जीत प्राप्त करने का श्रेय शास्त्री जी को ही जाता है । शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया । मिश्र शुकवार को यहां राजभवन में महात्मा गांधी जी की मूर्ति और शास्त्री जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उनकी जयन्ती पर दोनों महापुरूषों को नमन किया । इस अवसर पर राज्य की प्रथम महिला सत्यवती मिश्र ने भी दोनों महापुरूषों को श्रदा सुमन अर्पित किये ।
राज्यपाल ने कहा कि महात्मा गांधी एक ऐसे व्यक्तित्व थे , जिनके सिद्धान्त देश , धर्म , भाषा , जाति , सम्प्रदाय और वर्ग सबसे ऊपर उठकर सम्पूर्ण मानवता के लिए उपयोगी और प्रासंगिक बने रहेंगे । अगर हम इतिहास पर नज़र डालें तो विश्वभर में पिछली शताब्दी के दौरान साम्राज्यवाद के खिलाफ चले सभी आन्दोलनों में गांधी जी का आदर्श नजर आता है ।
मिश्र ने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा प्रारम्भ किया गया सत्याग्रह विश्वभर में असहमति और विरोध व्यक्त करने के लिए एक प्रमुख मार्ग बनकर सामने आया । अहिंसात्मक तरीके से भी विरोध किया जा सकता है और ब्रिटेन जैसी महाशक्ति को भारत ही नहीं कई देशों से अपने पैर खींचने पड़ सकते हैं , यह गांधीजी ने कर दिखाया । उन्होंने कहा कि आज का विश्व जिन बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है , उनके निराकरण का मार्ग भी गांधीजी के विचारों से खुलता है । कोरोना वैश्विक महामारी , पर्यावरण असंतुलन , आतंकवाद , चारित्रिक गिरावट और अविवेकपूर्ण तरीके से हो रहा विकास , वे चुनौतियां हैं , जिनका सामना पूरा संसार कर रहा है । राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार और प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल भी मौजूद थे ।
दोनों महापुरूषों को नमन , उनके आदर्श आज भी प्रांसगिक : कलराज मिश्र
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