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देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य मिलकर करें काम: अशोक गहलोत

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा कि यूक्रेन संकट ने भारत को मौका दिया है कि वह अपने यहां मेडिकल कॉलेजों व मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ाने पर विचार करे। उन्होंने इस बाबत केंद्र सरकार और राज्यों के साथ मिलकर काम करने पर जोर दिया।

गहलोत के अनुसार, यूक्रेन संकट के कारण भारत लौटे हजारों विद्यार्थियों का भविष्य अनिश्चितता के बादलों से घिर गया है। ऐसे में इन बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक सकारात्मक फैसला लिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि, हर साल हजारों भारतीय पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। इनमें से अधिकांश मेडिकल की पढ़ाई के लिए चीन, नेपाल, यूक्रेन, रूस, किर्गिस्तान, कजाखिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों का रुख करते हैं, क्योंकि वहां खर्च कम होता है।

उन्होंने कहा कि, लेकिन जब ये विद्यार्थी वहां से पढ़कर लौटते हैं तो उन्हें फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (एफएमजीई) देना पड़ता है। विदेश में भाषाई एवं पाठ्यक्रम संबंधी भिन्नताओं के कारण अधिकांश बच्चे (80% से भी अधिक) इस परीक्षा में सफल नहीं हो पाते हैं और मेडिकल प्रेक्टिस से भी वंचित रह जाते हैं। गहलोत ने कहा कि इससे देश के मानव संसाधन का मूल्य भी घटता है।

उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि, यूक्रेन संकट ने हम सभी को विचार करने का मौका दिया है कि क्यों न केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देश में मेडिकल कॉलेजों एवं सीटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि करें।” मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की तत्कालीन संप्रग सरकार ने मौजूदा जिला रेफरल अस्पतालों से संबद्ध नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना योजना के तहत हर जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना शुरू की थी, जो वर्तमान सरकार में भी चल रही है।

उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के समय केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में थी, लेकिन अब राज्यों का अंश बढ़ाकर 60:40 कर दिया गया है। गहलोत ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र सरकार को मिलकर सोचना होगा कि क्या इतनी संख्या बढ़ाने के बाद भी ये मेडिकल सीटें पर्याप्त हैं?

उन्होंने कहा कि, अभी हम एक जिले में एक मेडिकल कॉलेज को ही पर्याप्त मान रहे हैं, लेकिन मेरा केंद्र सरकार को सुझाव है कि एमसीआई के नियमों में बदलाव किया जाए और सरकारी व निजी, दोनों क्षेत्रों को अधिक से अधिक मेडिकल कॉलेज खोलने की छूट दी जाए। उन्होंने कहा, “भारत में अभी प्रति 1000 व्यक्ति पर औसतन एक डॉक्टर है। इनमें से भी अधिकांश शहरों में मौजूद हैं। जबकि, वैश्विक संस्थाओं के मानकों के हिसाब से प्रति 1000 व्यक्ति पर चार डॉक्टर होने चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की जनसंख्या बढ़ने और भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण अन्य महामारियों की आशंका को देखते हुए भी हमें इस संख्या को बढ़ाने की जरूरत है। गहलोत के मुताबिक, केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर सभी राज्यों के साथ एक व्यापक चर्चा करनी चाहिए, जिससे हमारे बच्चों को पढ़ने के लिए दूसरे देशों में न जाना पड़े। उन्होंने दावा किया कि इससे हमारे देश का पैसा भी बचेगा और मेडिकल सुविधाएं भी सुधरेंगी।

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