नई दिल्ली: भारतीय रेलवे की सोलर पॉवर सिस्टम की तकनीक पर आधारित पहली ट्रेन देश की रेल पटरियों पर दौड़ी. रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने स्पेशल डीईएमयू (डीजल-इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. रेलवे ने इस ट्रेन में कुल 10 कोच (8 पैसेंजर और 2 मोटर) हैं. इस ट्रेन में 8 कोच की छतों पर 16 सोलर पैनल लगे हैं.
सूरज की रोशनी से इस ट्रेन की छत पर लगे सोलर पैनल से 300 वॉट बिजली बनेगी और कोच में लगा बैटरी बैंक चार्ज होगा. इसी से ट्रेन की सभी लाइट, पंखे और इन्फॉर्मेशन सिस्टम चलेगा. रेलवे का कहना है कि यह ट्रेन हर साल 21 हजार लीटर डीजल की बचत करेगी. रेलवे का कहना है कि अगले 6 महीने में ऐसे 24 कोच और मिल जाएंगे.
इस मौके पर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इंडियन रेलवे को इकोफ्रेंडली बनाने के लिए ये एक लंबी छलांग है. हम एनर्जी के गैर-परंपरागत तरीकों को बढ़ावा दे रहे हैं. आमतौर पर डीईएमयू ट्रेन मल्टीपल यूनिट ट्रेन होती है, जिसे इंजन से जरिए बिजली मिलती है. इसके लिए इंजन में अलग से डीजल जनरेटर लगाना पड़ता है, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं होगी.
सोलर ट्रेन को पटरी पर दौड़ाया गया.
रेलवे ने कहा, ”आज लॉन्च हुई डीईएमयू ट्रेन दिल्ली डिवीजन के आसपास के शहरों में चलेगी. जानकारी के लिए बता दें कि रेलवे ने अभी इस ट्रेन के लिए रूट और किराया तय नहीं किया है. रेलवे अधिकारियों ने मीडिया को जानकारी दी कि 1600 हॉर्स पॉवर ताकत वाली यह ट्रेन चेन्नई की कोच फैफ्ट्री में तैयार की गई है, जबकि इंडियन रेलवेज ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अल्टरनेटिव फ्यूल (IROAF) ने इसके लिए सोलर पैनल तैयार किए हैं और इन्हें कोच की छतों पर लगाया गया है.
रेलवे का दावा है कि इस प्रकार के कोच अगले 25 सालों तक इस सोलर सिस्टम की लाइफ है. इस दौरान यह न केवल पर्यावरण को बचाने में सहायक होगी बल्कि लाखों रुपये के डीजल की बचत भी होगी. ट्रेन को तैयार करने में 13.54 करोड़ का खर्च आया है. एक पैसेंजर कोच की लागत करीब 1 करोड़ रुपये आई है.”
ट्रेन में रेलवे ने आधुनिक सुविधाओं को देने का प्रयास किया है. इसके सभी कोच में बायोटॉयलेट, वॉटर रिसाइकिलिंग, वेस्ट डिस्पोजल, बायो फ्यूल और विंड एनर्जी के इस्तेमाल का भी इंतजाम है. ट्रेन के एक कोच में 89 लोग सफर कर सकते हैं. सोलर पॉवर सिस्टम को मजबूती देने के लिए इसमें स्मार्ट इन्वर्टर लगे हैं, जो ज्यादा बिजली पैदा करने में मददगार साबित होंगे. साथी ही इसका बैटरी बैंक रात के वक्त कोच का पूरा इलेक्ट्रीसिटी लोड उठा सकेगा. रेलवे का कहना है कि यह ट्रेन एक बार फुल चार्ज होने पर दो दिनों तक चल सकती है. यानि सूरज यदि दो दिनों तक न भी निकले तब इस ट्रेन की सेवा पर कोई असर नहीं आएगा.