अशाेक यादव, लखनऊ। पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी में नये स्वरूप में निर्मित काशी विश्वनाथ धाम परिसर को भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताते हुये कहा कि आने वाले समय में यह देश की विकास यात्रा को भी विश्व पटल पर प्रस्तुत करेगा। मोदी ने यहां भव्य समारोह में काशी विश्वनाथ धाम परिसर का लोकार्पण करते हुये कहा कि यह परिसर भारत के सामर्थ्य का साक्षी है।
उन्होंने कहा, “काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा। ये परिसर, साक्षी है हमारे सामर्थ्य का, हमारे कर्तव्य का।
उन्होंने इस परिसर के निर्माण को इंसान की प्रबल इच्छाशक्ति का प्रतीक बताते हुये कहा, “काशी ने जब भी करवट ली है, तब देश का भाग्य बदला है। ये परिसर हमारे सामर्थ्य और कर्तव्य का साक्षी है। हम भारतीय अगर ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि 339 करोड़ रुपये की लागत से रिकॉर्ड 33 महीनों में बन कर तैयार हुये भव्य परिसर में श्रद्धालुओं के लिये विश्वस्तरीय सुविधाओं से युक्त 23 विभिन्न भवनों का निर्माण किया गया है।
साथ ही मंदिर परिसर के धार्मिक महत्व को बरकरार रखते हुये कई प्रचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार भी किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने परिसर के लोकार्पण के बाद अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करते हुये कहा, “विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही बाबा विश्वनाथ के चरणों में अर्चन-अभिषेक का सौभाग्य भी मिला।
पूजन के समय एक ही भाव मन में उठ रहा था- यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्। अथार्त राष्ट्रसेवा में मैं जो भी कर्म कर रहा हूं, वो सब महादेव आपकी ही आराधना है, आपका ही आशीर्वाद है। इससे पहले उन्होंने आज के दिन का महत्व भी बताते हुये कहा, “आज शिव जी का प्रिय दिवस सोमवार है। आज की तिथि मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी, विक्रम संवत् 2078, नया इतिहास रच रही है और हम इसके साक्षी बन रहे हैं। इस दौरान मोदी ने मंदिर परिसर में एकत्र जनसमूह को संबोधित करते हुये काशी के इतिहास में आये उतार चढ़ावों का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा, “आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की, लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। मोदी ने कठिन समय की चुनौतियों से उबरने के भारतीयों के अतीत का जिक्र करते हुये कहा कि यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं।
अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश राज में काशी के प्रतिरोध का हवाला देते हुये कहा कि अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं।