लखनऊ : देवताओं के राजा इंद्र का गर्व चूर करने और प्रजा की रक्षा करने के प्रतीक स्वरुप कार्तिक माह की प्रतिपदा को गोबर्धन पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोबर्धन बनाते हैं। गोवर्धन त्योहार को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना और परिक्रमा कर छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में माना गया है। पूजा आज रात 09 बजकर 07 मिनट तक की जा सकती है।\
ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति दिखाते हुए विशाल काय गोवर्धन पर्वत को महज छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। मान्यता है कि इस दिन जो भी श्रद्धापूर्वक भगवान गोवर्धन की पूजा करता है,उसे सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
ऐसे होती है पूजा
गोबर्धन तैयार करने के बाद उसे फूलों से सजाया जाता है और शाम के समय इसकी पूजा की जाती है। पूजा में धूप, दीप, दूध नैवेद्य, जल, फल, खील, बताशे आदि का इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है कि गोवर्धन पर्व के दिन मथुरा में स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन लोग घरों में प्रतीकात्मक तौर पर गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा करते हैं और उसकी परिक्रमा करते हैं।
ये है मान्यता
इस दिन मंदिरों में कई तरह के खाने-पीने के प्रसाद बनाकर भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं। इस दिन खरीफ फसलों से प्राप्त अनाज के पकवान और सब्जियां बनाकर भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा कर ब्रजवासियों की भारी बारिश से रक्षा की थी। ऐसा करके श्रीकृष्ण ने इंद्र के अहंकार को भी चूर-चूर किया था। गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में माना गया है।
इस दिन व्यापारी लोग अपनी दुकानों, औजारों और बहीखातों की भी पूजा करते हैं। जिन लोगों का लौहे का काम होता है वो विशेषकर इस दिन पूजा करते हैं और इस दिन कोई काम नहीं करते हैं।अन्न की पूजा के साथ इस दिन कई जगह लंगर लगाए जाते हैं। लंगर में पूड़ी, बाजरा, मिक्स सब्जी, आलू की सब्जी, चूर्मा, खीर, कड़ी आदि प्रमुख होते हैं। काफी फैक्ट्रियां बंद होती हैं। मशीनों की पूजा होती है।