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दिल्ली – वाराणसी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का लिडार सर्वेक्षण 13 से


राहुल यादव, लखनऊ ।एनएचएसआरसीएल नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड प्रस्तावित दिल्ली – वाराणसी एचएसआर कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए हेलीकाप्टर पर लगाये गए लेजर सक्षम उपकरणों का उपयोग कर लाइट डिटेक्शन एंड रैंजिंग सर्वे ( लिडार ) तकनीक से करेगा ।
 मार्ग का संरेखण या जमीनी सर्वेक्षण किसी भी रैखिक अवसंरचना परियोजना में सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस प्रकार के सर्वेक्षण से संरेखण के आसपास के क्षेत्रों की सटीक जानकारी मिल जाती है ।बताते चलें कि इस तकनीक में सटीक सर्वेक्षण डेटा प्राप्त करने हेतु लेजर डेटा , जीपीएस डेटा , फ्लाइट पैरामीटर और वास्तविक तस्वीरों का उपयोग होता है । सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के आधार पर ऊर्ध्वाधर व क्षैतिज मार्ग का संरेखण , संरचनाओं की डिज़ाइन , स्टेशनों एवं डिपो को बनाने के स्थान , कॉरिडोर के लिए आवश्यक जमीन , परियोजना से प्रभावित होने वाले भूखंडों व संरचनाओं की पहचान , राइट ऑफ़ वे आदि तय किए जाते हैं ।
 भारत में रेलवे परियोजना हेतु एरियल लिडार सर्वेक्षण तकनीक का पहली बार इस्तेमाल इसकी सटीकता के कारण मुम्बई – अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में किया गया था । एमएएचएसआर संरेखण का जमीनी सर्वेक्षण एरियल लिडार से करने में केवल 12 सप्ताह लगे , जबकि अगर यह सर्वेक्षण पारंपरिक तरीकों से किया जाता तो इसमें 10-12 महीनों का समय लगता । क्योंकि , यह परियोजना काफी बड़ी है और डीवीएचएसआर कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय – सीमा काफी कम है , इसलिए एरियल लिडार तकनीक का उपयोग करके जमीनी सर्वेक्षण शुरू हो चुका है । जमीन पर संबंधित जगहों को चिह्नित किया जा चुका है और हेलीकॉप्टर पर लगे उपकरणों से डेटा एकत्र करने का काम चरणबद्ध तरीके से 13 दिसंबर 2020 ( मौसम की स्थिति पर निर्भर ) से शुरू होगा ।
एनएचएसआरसीएल की प्रवक्ता सुषमा गौड़ ने बताया कि रक्षा मंत्रालय से हेलीकॉप्टर उड़ाने की अनुमति मिल गई है और विमान व उपकरणों का निरीक्षण किया जा रहा है । प्रस्तावित दिल्ली – वाराणसी एचएसआर मार्ग पर घनी आबादी वाले शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों , राजमार्ग , सड़क , घाट , नदियाँ , हरे – भरे खेत आदि हैं , जिससे यहां सर्वेक्षण करना अधिक चुनौतीपूर्ण है । एनएचएसआरसीएल को रेल मंत्रालय द्वारा दिल्ली – वाराणसी एचएसआर कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया है । गलियारे की संभावित लंबाई 800 किमी है , संरेखण और स्टेशनों का निर्धारण सरकार के परामर्श से किया जाएगा ।

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