कोयंबटू: दिल्ली-एनसीआर विदेशी निवेशकों (fdi) को कारोबार के लिहाज से लुभा रहा है। यही वजह है कि पिछले एक साल में दिल्ली के नेशनल कैपिटल रीजन जैसे गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव और फरीदाबाद फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (fde) के बड़े हब बनकर उभरे हैं, जबकि कुछ सालों तक एफडीआई में टॉप पर रहने वाला महाराष्ट्र राज्य पिछड़कर दूसरे पायदान पर पहुंच गया है। साल 2018-19 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान सबसे ज्यादा विदेशी निवेश दिल्ली एनसीआर में किया गया, जो 57,333 करोड़ रुपए रहा, जबकि इसी दौरान महाराष्ट्र में 56,436 करोड़ निवेश हुआ,
जबकि साल 2017-18 में महाराष्ट्र में 86,244 करोड़ के साथ पहले पायदान पर था और दिल्ली एनसीआर का तीसरा स्थान था। निवेश के साथ रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे। ऐसे में आर्थिक विशेषज्ञ उम्मीद जता रहे हैं कि अगले कुछ वर्षों में दिल्ली एनसीआर में नई नौकरियां पैदा होंगी।डिपॉर्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एडं प्रमोशन (क्प्च्च्) के मुताबिक के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में अगले कुछ वर्षों में इससे ज्यादा विदेशी निवेश आने की संभावना है,
क्योंकि एनसीआर में एफडीआर इक्विटी का फ्लो सतत रुप से आगे बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2016-17 में पहले 9 माह में एफडीआई फ्लो 17 प्रतिशत रहा, जो साल 2017-18 में 25 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जबकि 2018-19 में भी 25 फीसदी रहा। एफडीआर निवेश के मामले में कर्नाटक 33,014 करोड़ के साथ तीसरे पायदान पर है, जबकि इसके बाद आंध्र प्रदेश का नंबर आता है, जहां एक साल 2018-19 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान 19 हजार करोड़ का निवेश हुआ। इस लिस्ट में आंध्र प्रदेश के बाद तमिलनाडु और गुजरात का नंबर आता है।