कोलकाता: पिछले साल दार्जिलिंग में विरोध प्रदर्शन के चलते वहां के चाय बागान 4 महीने तक बंद रहे थे। उसका खमियाजा चाय बागानों को ऑक्शन से जापानी खरीदारों की गैर-मौजूदगी के रूप में भुगतना पड़ रहा है। इस बीच ट्रेडर्स पूर्व यूरोपियन और अमरीकी (यू.एस.) मार्कीट में संभावनाएं तलाश करने में जुट गए हैं यानी दाव लगा रहे हैं। दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के चेयरमैन बिनोद मोहन ने कहा, ‘‘हम इन बाजारों में थोड़ी-थोड़ी चाय भेजते रहे हैं। लेकिन अब हमने उन देशों में एक्सपोर्ट बढ़ा दिया है क्योंकि वहां दार्जिलिंग चाय की ऊंची कीमत मिलती है।
हम दार्जिलिंग चाय की बिक्री के लिए टी बूटीक और टी लॉऊंज को टारगेट कर रहे हैं।’’ हर साल आमतौर पर 85 लाख किलो दार्जिलिंग चाय का उत्पादन होता है जिसमें से फर्स्ट फ्लश टी का उत्पादन 17 लाख किलो होता है। जिस चाय का उत्पादन नए सीजन के पहले दो महीने में होता है, वह फर्स्ट फ्लश टी कहलाता है। यह चाय हल्की होती है और यह पूरी तरह प्राइवेट डील में बिकती है। इस बीच ट्रेडर्स पूर्व यूरोपियन और अमरीकी (यू.एस.) मार्कीट में संभावनाएं तलाश करने में जुट गए हैं यानी दाव लगा रहे हैं। दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के चेयरमैन बिनोद मोहन ने कहा, ‘‘हम इन बाजारों में थोड़ी-थोड़ी चाय भेजते रहे हैं। लेकिन अब हमने उन देशों में एक्सपोर्ट बढ़ा दिया है क्योंकि वहां दार्जिलिंग चाय की ऊंची कीमत मिलती है।