लखनऊ-जम्मू: दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों द्वारा अगवा किए जाने के बाद मार दिए गए राइफलमैन औरंगजेब को पुंछ जिले के सलानी गांव में भारत समर्थक और पाकिस्तान विरोधी नारों के बीच सुपुर्द-ए-खाक किया गया. गमगीन माहौल के बावजूद जवान के परिवार में देश सेवा का हौसला बना हुआ है.
औरंगजेब के पिता और जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के पूर्व सिपाही मोहम्मद हनीफ ने कहा, ‘‘मेरे बेटे ने देश के लिए अपना प्राण न्यौछावर किया, वह बहादुर जवान था. मैं और मेरे बेटे भी देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार हैं.’’
औरंगजेब के चार भाइयों में सबसे छोटे 15 वर्षीय आसिम अपने भाई की हत्या से टूटे नहीं हैं और वह अपने बड़े भाई की तरह ही सेना में शामिल होना चाहते हैं.
औरंगजेब को जब अगवा किया गया उस वक्त आसिम उनसे फोन पर बात कर रहे थे. असिम ने कहा, ‘‘मेरा भाई निजी गाड़ी से पुंछ आ रहा था, वह मुझसे बात कर रहे थे. मैंने गाड़ी रूकवाने की आवाज सुनी. मुझे लगा कि कुछ जांच हो रही है, मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि मेरे निहत्थे भाई को आतंकियों ने अगवा कर लिया है. ’’ राष्ट्रीय राइफल्स के औरंगजेब ईद पर जब अपने घर आ रहे थे तो पुलवामा जिले में आतंकियों ने उनको अगवा कर लिया और उनकी हत्या कर दी.
आसिम ने कहा, ‘‘मैं अपने भाइयों और पिता की तरह सेना में शामिल होना चाहूंगा.’’ सलानी ऐसा गांव है जहां भारतीय सशस्त्र बलों के सेवारत या सेवानिवृत्त सैनिकों की बड़ी तादाद है.
शहीद औरंगजेब के ताबूत को तिरंगे में लपेटा गया था. थलसेना के जवान और अधिकारी ताबूत को अपने कंधे पर रखकर नजदीक की एक सड़क से करीब आधे घंटे तक पहाड़ के घुमावदार रास्तों पर चलकर सलानी गांव तक पहुंचे. इससे पहले, औरंगजेब का पार्थिव शरीर हेलीकॉप्टर से सगरा हेलीपैड तक लाया गया था.
हनीफ ने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री मोदी को मेरे बेटे की मौत का बदला लेने के लिए 72 घंटे का वक्त देता हूं, नहीं तो हम अपना बदला खुद लेने के लिए तैयार हैं. कश्मीर हमारा है, हम कश्मीर को जलता हुआ नहीं छोड़ेंगे. घाटी को बर्बाद करने वालों का हमें सफाया करना होगा.