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“थको मत”, एक बार फिर उम्मीद का सूरज चमकेगा: प्रियंका गाँधी

राहुल यादव, लखनऊ। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर बुधवार सुबह अपनी आवाज में एक वीडियो सन्देश पोस्ट किया। उन्होंने इस महामारी के दौर में हिम्मत और उम्मीद का साथ बनाए रखने की अपील की. सरकार की विफलताओं पर दुःख जताया और देशवासियों के महामारी के दौर में एक दूसरे की मदद करने के जस्बे को सराहा।

प्रियंका ने अपने वीडियो सन्देश में कहा कि,

प्यारे दोस्तों,
  करोना के चलते हम सब एक अंधेरे दौर से गुजर रहे हैं । मुझे पता है कि आप में से कई लोग किसी अपने के खोने की असीम पीडा में हैं । कई अपने परिजनों की कुशलता  के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।  उनकी सेहत को लेकर बहुत परेशान हैं । महामारी ने हम सबको हिलाकर रख दिया है। हमारी जिंदगी बदल गई है। अब कुछ पहले जैसा नहीं रहा। ये बात चुभती है कि जिनके हाथों में ताकत थी ।

जिनकी जिम्मेदारी थी वे न सिर्फ अपनी जिम्मेदारी से मुकरे बल्कि लगातार झूठ का एक जाल बुनकर लोगों की मुश्किलों को समझने से इंकार करते रहे।

  मगर इसी बीच देश के लोग अभूतपूर्व तरीके से एक साथ आ रहे हैं । मुझे आशा है लोगों का एक दूसरे की मदद करने, दुःख में साथ खड़े होने का असर शासन करने वालों पर भी पड़ेगा और उनकी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होगा। डर और निराशा के बादल हावी हो रहे हैं। लेकिन इस अंधेरे समय से निकलने का एक ही विकल्प है- “थको मत”। हम निराशा को परास्त करेंगे।
महामारी की मार को हम संवेदना के मलहम से हलका करेंगे। वो डॉक्टर, स्वास्थ कर्मी, एम्बुलेन्स ड्राइवर और वो तमाम लोग जो किसी न किसी ढंग से  दूसरों की जान बचाने के काम में लगे हुए हैं । हमारे लिए आशा की किरण लेकर आते हैं। 
चेन्नई में बैठा एक युवा लड़का बिहार के किसी दूरदराज के क्षेत्र में मदद भेजने का प्रयास कर रहा है।
 दिल्ली में एक लड़की 16 घंटे  हेल्पडेस्क पर बैठकर लोगों की जरूरतो की लिस्ट बनाकर फील्ड टीमों को दे रही है।
ज्यादा से ज्यादा लोग मदद पहुंचने की राष्ट्र ड्यूटी निभा रहे हैं और सेवा के राष्ट्रव्यापी आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। हम सब आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़ रहे हैं।

यह लड़ाई असाधारण है। मगर विजय इंसानियत की ही होगी।

मुझे पता है कि बिना मास्क बाहर निकलने, किसी को गले लगाने या पार्क में बच्चों के साथ खेलने के बारे में सोचना सपने जैसा लगता है। लेकिन ऐसा होगा। एक बार फिर उम्मीद का सूरज चमकेगा। एक बार फ़िर स्कूल में बच्चे खिलखिलाएंगे।

 एक बार फिर गलियों में क्रिकेट शुरू हो जाएगा । एक बार फिर घरों की छतों पर मुहल्ले भर की औरतें इकठ्ठी होगी और जन्म दिन का गीत गाएंगी।
हम एक दुसरे का साथ देकर ताकत बनाए रखनी है हिम्मत रखनी है।

उम्मीद के दिए को जगाए रखना है।  हमें इन्सानिया की एक नई इबारत लिखी है। जय हिन्द

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