नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश में तीन लोगों की जान लेने और काफी नुकसान करने के बाद तूफान “गुलाब” कमजोर हो गया है। ओडिशा में भी तूफान का काफी असर देखा गया। तूफान गुलाब बंगाल की खाड़ी से निकल कर आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय इलाकों से टकराया। इस दौरान 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं।
आंध्र प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रमुख के कन्ना बाबू ने बताया कि तूफान में घरों और पेड़ों के गिरने की वजह से तीन लोग मारे गए। करीब 80,000 लोगों को निकाल कर दूसरी जगह ले जाना पड़ा। स्थानीय पुलिस ने बताया कि एक मछुआरा गायब था और एक और घायल हो गया था।
बाबू ने बताया, “तूफान में कई पेड़ और बिजली के कई खंबे उखड़ गए. कुछ गांवों और विशाखापत्तनम के इलाकों में भी पानी भर गया लेकिन अब स्थिति सामान्य हो गई है। अब कहीं पर भी जल-भराव नहीं है और बिजली की आपूर्ति फिर से शुरू कर दी गई है” कमजोर हुआ ‘गुलाब’ सोमवार 27 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले और विशाखापत्तनम शहर में भारी बारिश जारी थी।
ओडिशा के आपदा प्रबंधन प्रमुख पी के जेना ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की टीमें गिरे हुए पेड़ों से बाधित हुए रास्तों को खाली करने और कई राहत कार्यों में लगी हुई थीं। जेना ने यह भी कहा कि राज्य में कोई “बड़ा नुकसान” नहीं हुआ था।
मौसम विभाग का कहना है कि ‘गुलाब’ कमजोर हो गया है और वह अंदर के इलाकों की तरफ बढ़ने के समय “गहरे डिप्रेशन” में बदल गया था। यहां अक्सर आते हैं तूफान बंगाल की खाड़ी के ऊपर अक्सर अप्रैल और नवंबर के बीच में तूफान बन जाते हैं और भारत के तटीय इलाकों में भारी तबाही और बाढ़ ले आते हैं।
‘गुलाब’ से पहले मई 2021 में ‘यास’ नाम का उससे ज्यादा शक्तिशाली तूफान आया था, जिसकी वजह से कम से कम 140 लोगों की जान चली गई थी। उसके एक सप्ताह बाद ही देश के पूर्वी छोर और बांग्लादेश में आए एक और तूफान ने छह लोग मारे गए थे।
इस प्रांत का अभी तक का सबसे बुरा तूफान ओडिशा में 1999 में आया था, जिसने 10,000 जानें ले ली थी और करीब 1.5 करोड़ लोगों को बेघर कर दिया था। भारत के पूर्वी तट पर भारी तबाही मचाने वाले तूफान आते रहते हैं, लेकिन जलवायु के बदलते स्वरूप ने इन तूफानों को और तीव्र बना दिया है।