नई दिल्ली। मुसलमानों में प्रचलित एक बार में तीन तलाक की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना दिया है।मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के पांच न्यायाधीश बारी-बारी से अपना फैसला पढ़ा।पांच में से तीन जजों ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया है।
मुस्लिम महिलाओं को भी मिले समानता का अधिकार
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वकील चंद्रा राजन ने कहा कि जो हक संविधान ने गैर- मुस्लिम महिलाओं को दे रखा है, वही मुस्लिम महिलाओं को दिया जाना चाहिए। हम चाहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद के तहत मुस्लिम महिलाओं को भी समानता का अधिकार दिया जाना चाहिए।
चंद्रा राजन ने कहा कि कुरान में भी बहु-विवाह को मान्यता नहीं दी गई है। लिहाजा हम सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग करेंगे कि मुस्लिमों को बहु-विवाह पर भी रोक लगाई जाए।
मौलवी अब भी तैयार नहीं
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने के लिए मुस्लिम मौलवी अभी भी तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि अभी दो जजों ने इसका फैसला नहीं दिया है। हम इस फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं हैं और इस फैसले को पढ़ेंगे फिर आगे की कार्रवाई करेंगे।
मैं इस फैसले से खुश हूं
ट्रिपल तलाक की पीड़िता ने कहा कि पिता की साल 2009 में मौत हो गई थी और मां के साथ जयपुर जाते हुए बस के एक्सीडेंट में मां की मौत हो गई। मैं घायल हो गई थी और इसी बीच पति ने स्पीड पोस्ट से ट्रिपल तलाक भेज दिया। मैं काफी रोई और पूछा कि आखिर क्यों मुझे छोड़ रहे हैं। एक्सीडेंट के बाद मानसिक, शारीरिक तकलीफों से गुजर रही थी। मगर, उन पर कोई असर नहीं हुआ। आज इस फैसले के आने के बाद मैं काफी खुश हूं।
इलाहाबाद की जीनत को मिला इंसाफ
इलाहाबाद की रहने वाली जीनत सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बेहद खुश दिखीं। उन्होंने कहा कि पांच साल का मेरा बेटा है।मैं अस्पताल से घर लौटी, तो पति ने तलाक-तलाक-तलाक कह दिया। मैं अचानक सड़क पर आ गई। मुझे घर से बेघर कर दिया गया।
मैंने एक एनजीओ से संपर्क किया और सुप्रीम कोर्ट में अपने हक के लिए गई। मेरे पास खाने के पैसे नहीं थे।मगर, आज सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, उससे मुझे मेरा हक मिलेगा।