पटना: रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने जब चारा घोटाले में लालू यादव को दोषी करार दिया तो वे सन्न रह गए. लालू यादव के मुंह से निकल गया देखो न डॉक्टर साहेब (जगन्नाथ मिश्र) को छोड़ दिया हमको सजा दे दिया… गज़बे किया… और दूसरी तरफ जगन्नाथ मिश्रा उन्हें बरी किए जाने के फैसले पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे.कभी-कभी लोगों को जब बड़ी से बड़ी खबर मिलती है तो उन्हें विश्वास नहीं होता लेकिन जब किसी आरोपी से कोई न्यायाधीश कहे कि आपको आरोपों से मुक्त किया जा रहा है और वह विश्वास न करे तो क्या होता है. शनिवार को रांची में सीबीआई कोर्ट में चारा घोटाले के मामले में जगन्नाथ मिश्र के साथ कुछ ऐसा ही हुआ.
सुबह साढ़े दस से ग्यारह के बीच सभी आरोपी कोर्ट पहुंचे लेकिन न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने कह दिया कि लोक अदालत के कारण तीन बजे के बाद वे सभी मामलों में फैसला देंगे. तब तक लालू यादव भी कोर्ट परिसर में आ चुके थे लेकिन कोर्ट रूम में नहीं गए थे. जब उन्हें फैसले के समय के बारे में बताया गया तो वे वापस रेलवे के गेस्ट हाउस में चले गए.
लालू यादव गेस्ट हाउस पहुंचकर सोने की तैयारी में थे और तभी उन्हें प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मीसा भारती और इनके पति शैलेश के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बारे में बताया गया. फिर उन्होंने कुछ फोन किए. बाद में डेढ़ घंटे सोने के बाद वे फिर कोर्ट पहुंचे. तीन बजे के बाद सभी आरोपी कोर्ट रूम में पहुंचने लगे. वहां पर बैठने के लिए बेंच के अभाव में दूसरे कोर्ट रूम में लालू और जगन्नाथ मिश्र इंतजार करने लगे.
बॉक्स में कोने में खड़े डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र को विश्वास नहीं हो रहा था या वे उम्र अधिक होने के कारण सुन नहीं पाए… लेकिन तीन बार बोलने पर वे बॉक्स से नीचे उतरे और सीधे सर्किट हाउस चले गए. बाद में उन्होंने कहा कि आज उनके साथ न्याय हुआ, लेकिन इस मामले में अपने को निर्दोष साबित करने में उनका सब कुछ राजनीति, घर, पैसा बर्बाद हुआ.
इस बीच कोर्ट रूम में सबको यह लग रहा था कि अन्य सोलह लोगों के मामले में क्या हुआ? इनका नाम क्यों नहीं पुकारा जा रहा है. तब एक वकील ने लालू यादव के पास आकर बताया कि उन छह लोगों के अलावा सबको दोषी करार देते हुए कोर्ट ने उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया है. सजा पर सुनवाई तीन तारीख को होगी.
पिछड़ों के मसीहा को बीजेपी या न्यायपालिका से ऐसी ही आशा होनी भी चाहिए थी , कुछ समय के बाद भले ही लालू जी को जमानत मिल जाय , पर दोषमुक्त होने के लिए इस भ्रष्ट्र तंत्र से क्या आशा होगी।