अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों के तबादले क्या हुये, मानो यहां होने वाली गड़बड़ियों का पिटारा खुल गया। अब रोज-रोज इसमें नये खुलासे हो रहे हैं। लेकिन अभी तक इन गड़बड़ियों की जिम्मेदारी तय नहीं हो पायी है और न ही यह पता चल पा रहा है कि आखिर इतने बड़े स्तर पर अनियमितता होने का असली जिम्मेदार कौन है, बस सब अपना बचाव करने में जुटे हुये हैं।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने जैसे ही डॉक्टरों के स्थानान्तरण प्रक्रिया में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव से जानकारी मांगी, उसके बाद पूरे महकमे में हड़कंप मच गया। बीते शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (प्रशासन) राजा गणपति आर ने 29 चिकित्साधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दी।
जिसमें विभिन्न जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) और अस्पतालों के निदेशक, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) व चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) शामिल बताये जा रहे हैं। जारी नोटिस में डॉक्टरों की जानकारी भेजे जाने पर सवाल खड़ा किया गया है,इस नोटिस में कहा गया है कि जिलों से चिकित्सा अधिकारियों ने पीएमएस संवर्ग में न आने वाले आयुष व दंत चिकित्सकों की गलत जानकारी देकर उनका भी स्थानांतरण करा दिया, जबकि आयुष व दंत चिकित्सक पीएमएस संवर्ग के तहत नहीं आते हैं।
वहीं लेवल टू व लेवल थ्री के डाक्टरों की सूचना लेवल वन के डाक्टर के रूप में देकर उनका स्थानांतरण करा दिया, जबकि लेवल टू व लेवल थ्री के डाक्टरों का स्थानांतरण शासन स्तर से किया जाता है। महानिदेशालय स्तर से नहीं हो सकता। निदेशक प्रशासन ने चिकित्सा अधिकारियों को जो नोटिस जारी की है,उसके बाद यह तो साफ हो गया चिकित्सकों के स्थानान्तरण में खुला खेल हुआ है। इसके बाद कई सवाल खड़े होने लगे हैं।
जानकार यह सवाल उठा रहे हैं कि जब चिकित्सकों की पूरी जानकारी मानव संपदा पोर्टल पर पहले से दर्ज है, उसी के हिसाब से प्रमोशन होते हैं, तो स्थानान्तरण के लिए अलग से चिकित्साधिकारियों से जानकारी मंगाने की क्या आवश्यकता थी। यदि जानकारियां मंगाई गयी थी,तो उसका सत्यापन क्यों नहीं किया गया। एक सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि मानव संपदा पोर्टल का रखरखाव ठीक तरह से नहीं किया जा रहा है, जबकि इसके रखरखाव के लिए हर साल लाखों रूपये खर्च किये जाते हैं। इसके अलावा मानव संपदा पोर्टल अन्य विभागों में अच्छा कार्य कर रहा,गड़बड़ी सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में ही रही है।
बताया जा रहा है कि स्थानान्तरण के लिए चिकित्सकों ने स्वयं मानव संपदा पर अपनी पूरी जानकारी उपलब्ध कराई थी,लेकिन उनकी जानकारी न तो अपडेट की गयी और न उन जानकारियों का इस्तेमाल स्थानान्तरण के दौरान किया गया। इसके पीछे का कारण मानव संपदा का कार्य देखने वाली एजेंसी की लापरवाही को बताया जा रहा है, जिसके ऊपर मांनव संपदा में चिकित्सकों की पूरी डिटेल अपडेट करने की जिम्मेदारी होती है। पीएमएस की तरफ से कहा गया है कि निदेशक प्रशासन के पत्र से साफ हो गया है कि मानव संपदा को अपडेट नहीं किया जाता है,जबकि इसको अपडेट करने की अपील कई बार की जा चुकी है।
क्या है मानव संपदा पोर्टल
मानव संपदा पोर्टल मानव संसाधन के प्रबधन के लिए है। इसमें आनलाइन माध्यम से अधिकारियों व कर्मचारियों के अवकाश, कार्मिकों के सर्विस बुक का रख-रखाव तथा अन्य जानकारियां आनलाइन किये जाने की व्यवस्था है। इसी पोर्टल पर चिकित्सकों ने अपनी जानकारी दर्ज की थी। मानव संपदा पर चिकित्सकों की छुट्टी,एसीआर समेत कई काम होते हैं।