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डेथ ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट राज्य सरकार की विफलताओं को छिपाने का जघन्य पाप, पारस हॉस्पिटल के खिलाफ हो सख्त कार्यवाही, संचालक हो गिरफ्तारी- अजय कुमार लल्लू

राहुल यादव, लखनऊ । कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आगरा के पारस हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमितों की ऑक्सीजन की कमी के बाद कि गयी मॉकड्रिल से हुई मौतों पर डेथ आडिट कमेटी की रिपोर्ट को राज्य की योगी सरकार की विफलताओं पर पर्दा डालने का जघन्य पाप बताते हुए सवाल उठाते हुए कहा राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार बताये कि यदि आक्सीजन उपलब्ध थी तो हॉस्पिटल में मॉकड्रिल का औचित्य क्या था? जब रिपोर्ट में यह कहा जा रहा है कि 5 मिनट के लिये मॉकड्रिल की गयी जिससे 22 लोगो की मौत होना हॉस्पिटल संचालक द्वारा स्वीकार किया गया है फिर भी मानव वध के दोषी हॉस्पिटल को क्लीन चिट क्यों और किसकी छवि बचाने के लिये दी गयी?प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता मौतों का जवाब चाहती और मांगती है। उन्होंने कहा कि पारस हॉस्पिटल में 22 कोरोना संक्रमितों को लगी ऑक्सीजन किस उद्देश्य से हटाई गई और जांच रिपोर्ट में 22 की जगह 16 मौतों को स्वीकार किया गया फिर भी हॉस्पिटल में मॉकड्रिल के लिये जिम्मेदार हॉस्पिटल संचालक पर कार्यवाही करने के बजाय उसे क्लीन चिट किसके इशारे पर दी गयी? यह बताने के साथ ही साथ यह भी राज्य सरकार को बताना होगा कि हॉस्पिटल संचालक का भाजपा से क्या रिश्ता है।अजय कुमार लल्लू ने कहा कि 4 सदस्यीय डेथ ऑडिट कमेटी व 2 सदस्यीय जांच दल की रिपोर्ट भाजपा सरकार की कलंकित छवि पर लीपापोती करने का षड्यंत्र है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपनी  विफलताओं को छिपाने का लगातार जघन्य पाप करती चली आ रही है, कोरोना के भीषण संकट के समय ऑक्सीजन राज्य सरकार मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में पूरी तरह असफल हुई जिसके चलते मरीजों के जीवन से खिलवाड़ इस स्तर तक किया गया कि उनकी मौतें हुई इसके लिये राज्य सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है और ऑक्सीजन हटाने वाला हॉस्पिटल भी।उन्होंने कहा कि यह सवाल सरकार से है कि ऑक्सीजन जब उपलब्ध थी तो फिर मॉकड्रिल की जरूरत क्यों पड़ी और जांच रिपोर्ट से तो साबित हो गया कि सरकार और  हॉस्पिटल संचालक को बचाने का पूरा षड्यंत्र दोनो कमेटियों ने किया है।
राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार की लापरवाही व मनमानेपन के चलते प्रदेश में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण के कारण मौतें हुई, मरीजों की टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट में फर्जी आकड़ेबाजी के सहारे अपनी विफलताओं को पीआर विज्ञापन  के बल पर बचने की कोशिश जरूर की गयी लेकिन उसमें असफलता हाथ लगी। सरकार की पूरी व्यवस्थायंे कागजी थी जिसके चलते स्थिति गम्भीर हुई और योगी आदित्यनाथ लगातार झूठ पर झूठ बोलकर सब ठीक होने की बयानबाजी कर संवेदनहीनता का नग्न प्रदर्शन करते रहे। उन्होंने कहा कि आगरा के पारस हॉस्पिटल प्रकरण की जांच के लिये हाइकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कमेटी गठित की जाए, जिससे पीड़ित परिवारों को न्याय प्राप्त हो सके।
 पारस हॉस्पिटल व सरकार की छवि को बचाने के लिये बनायी गयी तथ्यहीन रिपोर्ट एक षड्यंत्र है, जिसे कांग्रेस स्वीकार नही करती कांग्रेस की मांग है कि पारस हॉस्पिटल व उसके संचालक के खिलाफ कार्यवाही करते हुए संचालक के ऊपर मुकदमा दर्ज करते हुए उसकी तत्काल गिरफ्तारी की जाए।

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