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जिस्मफरोशी के धंधे में धकेलने के कारण अपनी मां को दी थी दर्दनाक मौत, खुद बाथरूम में मिली मृत

उत्तराखंड: देहरादून बालिका निकेतन में मां के कत्ल के आरोप में बंद किशोरी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। वह बाथरूम में बेहोशी की हालत में मिली। अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों से उसे मृत घोषित कर दिया। उसकी मौत की वजह पोस्टमार्टम के बाद ही साफ हो पाएगी। उसे तीन मई को हरिद्वार से यहां स्थानांतरित किया गया था। वहीं आज गुरुवार को महिला सशक्तिकरण एंव बाल कल्याण मंत्री रेखा आर्य बालिका निकेतन पहुंची और घटना का संज्ञान लिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह किशाेरी बाथरूम में मिली यह आत्महत्या नहीं हो सकती। इस मामले की जांच के लिए मंत्री ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। उन्होंने समिति से तीन दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

आरोप है कि किशोरी ने 19 सितंबर की रात पाठल से अपनी मां सावित्री देवी की गर्दन, सिर और हाथ पर अनगिनत वार कर हत्या कर दी। खून से सने कपड़े बदलकर वह उसी रात घर से बाहर निकल गई थी। पाठल को झाड़ियों में फेंकने के बाद वह बस से पंजाब भाग गई थी। कनखल पुलिस ने 25 सितंबर को उसे गिरफ्तार कर हत्याकांड का खुलासा कर दिया था। किशोरी का दावा था कि जिस्म फरोशी के धंधे में धकेलने के कारण उसने मां की हत्या की थी। दून का बालिका निकेतन हमेशा सवालों के घेरे में रहा है। अतीत के आइने में देखें तो बच्चियों के उत्पीड़न से लेकर बालिकाओं के भागने तक पिछले पांच सालों ऐसे तमाम घटनाएं घटित हुई हैं, जिनसे बालिका निकेतन की व्यवस्थाओं पर सवालों उठते रहे हैं। अब शौचालय में संदिग्ध हालात में एक किशोरी मृत पाई गई है,

जिससे व्यवस्थाओं पर फिर से सवाल उठ रहे हैं। नारी निकेतन, बालिका निकेतन और शिशु निकेतन में अक्सर अव्यवस्थाएं उजागर होती रहती हैं। पिछले साल बालिका निकेतन में बालिकाओं को संक्रमण होने का मामला उजागर हुआ था। उस समय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने शिशु निकेतन व बालिका निकेतन का निरीक्षण किया। बालिका निकेतन में गंदगी देख अध्यक्ष भड़क गईं। उन्होंने सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। साथ ही नारी निकेतन में रह रही मानसिक रूप से अस्वस्थ चार बालिकाओं को तत्काल बालिका निकेतन में भेजने के निर्देश दिए थे। साल 2017 में तत्कालीन अपर समाज कल्याण अधिकारी मनोज चंद्रन ने बालिका निकेतन का निरीक्षण कर शासन को रिपोर्ट भेजी थी,

जिसमें स्टाफ की लापरवाही से शिशु निकेतन में दो नवजात की मौत हो गई और सात साल की बच्ची अपाहिज होने के कगार पर पहुंच गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने बालिका निकेतन का निरीक्षण करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे। लापरवाही का आलम ये है कि पिछले साल दो बार बालिकाएं नारी निकेतन की दीवारें लांघ कर फरार हो गईं थीं। बालिका एवं शिशु निकेतन की व्यवस्थाओं पर बाल कल्याण समिति की पूर्व अध्यक्ष कविता शर्मा ने भी पूर्व सवाल उठाए थे। समिति की ओर से नेहरू कॉलोनी थाने को भेजी गई रिपोर्ट में गोपनीय जांच करने को कहा था।

इसमें समिति ने कहा था कि इन बिंदुओं पर जांच करना जरूरी है कि निकेतन से विद्यालय आते जाते हुए ये लड़कियां किन किन लोगों के संपर्क में आती हैं? क्या कोई मानव तस्करी का गिरोह तो बालिका निकेतन में सक्रिय नहीं है? पिछले साल पांच लड़कियों के फरार होने के बाद बाल आयोग की सदस्य शारदा त्रिपाठी ने बालिका निकेतन का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद उन्होंने बताया था कि बालिका निकेतन में लड़कियों का शोषण होता है। उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। साथ ही लड़कियों को जो भी संस्था या समितियों की ओर से सामान मिलता है उसे भी छीन लिया जाता है।

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