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जानिए, क्या है सीता नवमी का महत्व, विधि अनुसार करें पूजन, होंगे आपकी माता के सभी रोग दूर

वैशाख मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को मध्याह्न काल में पुष्य नक्षत्र में माता सीता का प्राकट्य हुआ था. इसी कारण यह तिथि सीता नवमी कहलाती है. हिंदू समाज में जिस प्रकार श्री राम नवमी का महत्व है, उसी प्रकार सीता नवमी का भी है. सीता नवमी के दिन माता सीता की पूजा अर्चना करके मुश्किलों को आसानी से दूर करने के साथ-साथ अपनी माता के रोगों और पारिवारिक कलह क्लेश को दूर किया जा सकता है. इस बार सीता नवमी 13 मई 2019 सोमवार के दिन मनाई जाएगी.
सीता नवमी पर होंगे आपकी माता के सभी रोग दूर-
– सीता नवमी के दिन शुद्ध रोली मोली, चावल, धूप, दीप, लाल फूलों की माला तथा गेंदे के पुष्प और मिष्ठान आदि से माता सीता की पूजा अर्चना करें.
– तिल के तेल या गाय के घी का दीया जलाएं और एक आसन पर बैठकर लाल चंदन की माला से ॐ श्रीसीताये नमः मंत्र का एक माला जाप करें.
– अपनी माता के स्वास्थ्य की प्रार्थना करें.सीता नवमी पर करें पारिवारिक कलह क्लेश दूर-
–  सीता नवमी के दिन दोपहर के समय श्री सीताराम जी को पीले फूलों की माला अर्पण करें.
–  पीले मिष्ठान का भोग लगाकर मिट्टी के दीए में कपूर रखकर आरती करें.
– एक आसन पर बैठकर श्रीसीता रामाय नमः  मंत्र का एक माला जाप करें.
– जाप के बाद मिष्ठान का भोग लगाकर जरूरतमंद बच्चों और स्त्रियों में बांटे.
सीता नवमी पर करें अपने आपको सुरक्षित-
– सुबह या शाम के समय सीता नवमी के दिन लाल या पीले फूलों से भगवान श्री राम की पूजा अर्चना करें.
– एक नारियल पर कलावा लपेटकर पीले मिष्ठान के साथ श्री राम को अर्पण करें और उनके सामने जल का पात्र रखें.
– किसी भी श्रीराम या शिव मंदिर में एक कुशा के आसन पर बैठकर श्री रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें.
– पाठ पूरा होने के बाद जल का छिड़काव अपने घर में करें और जल का सेवन भी करें.

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