अशाेक यादव, लखनऊ। जस्टिस एन. वी. रमना भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी नियुक्ति की मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति की मंजूरी का लेटर सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा दिया गया है। अब जस्टिस रमना 24 अप्रैल को शपथ लेंगे।
जस्टिस रमना वर्तमान चीफ जस्टिस एस ए बोबडे के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज हैं। बीते 24 मार्च को वर्तमान चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने उनके नाम की सिफारिश सरकार को भेजी थी। 27 अगस्त, 1957 को जन्मे जस्टिस रमना सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई बोबडे के बाद सबसे सीनियर हैं।
जस्टिस रमन ने विज्ञान एवं कानून में स्नातक करने के बाद 10 फरवरी 1983 से वकालत पेशे की शुरुआत की थी। अपने वकालत पेशे के दौरान उन्होंने न केवल आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय बल्कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) तथा उच्चतम न्यायालय में भी प्रैक्टिस की।
27 जून 2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त होने के बाद वह 13 मार्च से 20 मई 2013 तक उसी उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किये गये। बाद में उन्हें पदोन्नति देकर दो सितम्बर 2013 को दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। सत्रह फरवरी 2014 को वह शीर्ष अदालत में पदोन्नत किये गये।
जस्टिस रमना का कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 तक है। वह आंध प्रदेश हाई कोर्ट के पहले ऐसे जज होंगे जो सीजेआई बनेंगे। वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में 29 न्यायाधीश हैं। तेलुगू भाषियों की बात करें तो वह दूसरे होंगे क्योंकि के सुब्बा राव भी चीफ जस्टिस रह चुके हैं।