लखनऊ। राष्ट्रीय निषाद संघ (एन.ए.एफ.) के राष्ट्रीय सचिव चौधरी लौटन राम निषाद ने पिछड़ा वर्ग व दिव्यांग कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर पर मानसिक विकलांगता व दिवालियेपन का आरोप लगाते हुए कहा कि ओम प्रकाश राजभर निज स्वार्थ के लिए भाजपा व आर.एस.एस. के इसारे पर जातिगत आरक्षण का विरोध करते हुए आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई जिक्र नहीं है। जातिगत आधार पर ही भारतीय समाज में भेदभाव अपनाया जाता है। 2016 में सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने रेलवे मैदान मऊ में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ रैली कर कहा था कि राजभर सहित 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने के मुद्दे पर सहमति के बाद भाजपा से हमारी पार्टी का समझौता हो रहा है और सरकार बनने पर 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जायेगा।
भाजपा गठबन्धन की सरकार बनने पर ओम प्रकाश के स्वर बदल गये और अनुसूचित जाति के आरक्षण की मांग भूलकर भाजपा से सौदेबाजी कर पिछड़े वर्ग को तीन श्रेणीयों में बाटने का मुद्दा उठाने लगे। उन्होने राजभर के कल के बयान को आपत्ति जनक व असंवैधानिक करार दिया है। श्री निषाद ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश में जब-जब भाजपा की सरकार बनी तब-तब पिछड़ों निषादों के अधिकारों को छिनने का षडयंत्र किया गया। 1992 में कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने पर मां गंगा सहित प्रदेश की सभी नदियों को मत्स्याखेट व शिकारमाही के लिए नीलाम करने का आदेश किया गया। बालू मौरंग खनन की पट्टा प्रणाली खत्म कर भाजपा सरकार ने सार्वजनिक कर निषाद मछुआरों का परम्परागत पुश्तैनी पेशा छीन लिया। 1998-99 में अटल बिहारी बाजपेई की सरकार ने समुद्र में ट्रालर मशीनों द्वारा मछली पकड़ने का ठेका विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को दे दिया। उडीसा की चिल्का झील को विदेशी कम्पनियों के हाथों नीलाम कर दिया। श्री निषाद ने बताया कि अखिलेश यादव की सरकार ने 21 दिसम्बर 2016 को मझवार जाति एंव 22 दिसम्बर व 31 दिसम्बर 2016 को 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित करने का शासनादेश जारी किया था।
जिसे विरोधी पक्षों ने मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद खण्ड पीठ में याचिका योजित किया था। जिस पर न्यायालय ने 13 जनवरी 2017 को स्टे दे दिया था। लेकिन मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने 29 मार्च 2017 को स्टे वैकेट कर दिया। लेकिन उ0प्र0 सरकार ने न तो न्यायालय में सरकार व शासन का पक्ष रखवाया और न ही प्रमाण पत्र जारी करने का शासनादेश ही जारी किया। उन्होनें कहा कि लोकसभा चुनाव-2019 में अपनी खिसकते हुए जनाधार व डूबती हुई नाव का आभास कर भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा उछाल रही है। श्री निषाद ने कहा कि सरकार बनते ही योगी ने अखिलेश यादव जी की सरकार द्वारा 05 अप्रैल को महाराज गुहराज निषाद जयंती के लिए सार्वजनिक अवकाश की घोषित छुट्टी को रद्द कर दिया था। जिसे अब निषाद समाज से भयभीत होकर लोेक सभा चुनाव को देखते हुए पुनः घोषित कर दिया है। लेकिन अब निषाद समाज भाजपा के बहकावे में आने वाला नहीं है। उन्होंने ओबीसी को तीन श्रेणीयों में बांटने की साजिश की निन्दा करते हुए कहा कि जो भी सीएम बनने से पूर्व जो मांग निषाद समाज के लिए उठाते रहे हैं, निषाद, मल्लाह, केवट, बिन्द, मांझी, धीवर, कहार, तुरहा, गोडिया, रायकवार आदि को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाकर कथनी-करनी में एकरूपता का परिचय दें।