जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से लोगों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कानून बनाने की मांग की है। गहलोत ने कहा कि, देशवासियों के लिए सामाजिक सुरक्षा का अधिकार होना चाहिए। केंद्र को लोगों, चाहे वे बेसहारा हो, अकेली महिलाएं हों, बुजुर्ग हों या मजदूर हों, को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने के लिए एक कानून लाना चाहिए।
अशोक गहलोत ने कहा कि चाहे शिक्षा का अधिकार हो, सूचना का अधिकार हो, मनरेगा हो या खाद्य सुरक्षा अधिनियम हो। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने लोगों को अधिकार देने के युग की शुरुआत की थी और देश की जनता को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार दिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, “मशीनों का अपना महत्व है लेकिन मानव श्रम बहुत महत्वपूर्ण है और यह सरकारों का कर्तव्य है कि वे उनकी देखभाल करें। जब वे बुजुर्ग हो जाते हैं और काम करने में सक्षम नहीं रहते तो उन्हें समस्या होती है। यहीं पर उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने में सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
उन्होंने कहा कि लोगों को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान की सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण के साथ कई पहल की हैं जिनमें राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की बजट घोषणा, सभी सरकारी अस्पतालों में आईपीडी और ओपीडी में मुफ्त इलाज, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा के तहत बीमा राशि को 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये करना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने बजट 2022-23 में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत राज्य के ग्रामीण इलाकों की तरह शहरी क्षेत्रों में जरूरतमंद परिवारों को भी 100 दिन का रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि, चाहे स्वास्थ्य हो, रोजगार या कृषि क्षेत्र। राज्य सरकार पिछले तीन साल से नियमित कदम उठा रही है। कोरोना महामारी के दौरान, हमने तुंरत बेसहारा परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पहल की। इसके तहत लॉकडाउन के दौरान 33 लाख असहाय परिवारों को 5500 रुपये किस्तों में दिए गए जिस पर करीब 1800 करोड़ रुपये व्यय हुए।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा ‘मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना’ में अनाथ बच्चों व अपने पति गंवाने वाली महिलाओं को विशेष पैकेज दिया गया है। उनके मुताबिक इस मद में अब तक लगभग 100 करोड़ रुपये की राशि व्यय की गई है। पैकेज के तहत कोरोना संक्रमण के कारण अपने पति को खोने वाली महिलाओं को एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि और 1,500 रुपये प्रति माह की पेंशन प्रदान की जाती है और ऐसी महिलाओं के बच्चों के लिए प्रति बच्चा 1,000 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने कोरोना महामारी के कारण अपने माता पिता गंवाने वाले बच्चों के लिए तत्काल अनुदान के रूप में एक लाख रुपये का प्रावधान किया और इन बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक 2,500 रुपये प्रति माह, 18 वर्ष पूरा होने पर 5 लाख रुपये की सहायता तथा उच्च माध्यमिक स्तर तक निशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया है। गहलोत ने कहा, “कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के तहत अपने नागरिकों की देखभाल करना सरकार का कर्तव्य है।