छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में यह पहला मौका है, जहां राजनीतिक पार्टियों के समर्थकों का गुस्सा और रंजिश बाहर निकली है। इस बार मारपीट, सामान और पैसे जब्ती समेत अन्य मामलों में 54 केस दर्ज किए गए हैं। यह स्थिति सिर्फ राजधानी की है। इसमें सर्वाधिक मामले राजनीतिक पार्टियों के दो गुटों में मारपीट और धमकाने के केस दर्ज हुए हैं। पुलिस रिकॉर्ड से इसका खुलासा हुआ है। अब इन मामलों की पुलिस को विवेचना कर आरोप तय करने की जिम्मेदारी है। दरअसल, साल 2013 के विधानसभा चुनाव में आचार संहिता का उल्लंघन और मारपीट के 27 केस दर्ज हुए थे, लेकिन इस बार केस की संख्या दोगुनी हो गई है। अधिकतर मामलों की पुलिस ने विवेचना शुरू कर दी है।
ऐसे दर्ज हुए मामले
पुलिस के मुताबिक रायपुर और कुछ हिस्सा बलौदबाजार में आचार संहिता लागू होने से वोटिंग के बीच करीब 19 मारपीट और धमकी तथा लोक प्रतिनिधित्व मामले में 15 केस दर्ज किए गए हैं। वहीं, संपत्ति विरूपण के 9 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके साथ पुलिस ने धारा 171 के तहत 5 और 102 के तहत पैसे और सामान की जब्ती के 6 मामले दर्ज किए हैं।
आईपीसी के तहत 12 केस दर्ज
जानकारी के मुताबिक विधानसभा चुनाव 2013 में संपत्ति विरूपण अधिनियम के तहत 6 केस, धारा 171 च के तहत 2 केस, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत 7 केस, यानी 27 केस दर्ज किए गए थे। वहीं भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 506, 188 और 66 आईटी एक्ट के तहत 12 केस दर्ज किए गए। इनमें दीवारों पर होर्डिंग लगाने, पेंट से लिखकर प्रत्याशी का प्रचार करने, बैनर पोस्टर का इस्तेमाल कर प्रचार करना, प्रत्याशी के समर्थकों द्वारा अपने पक्ष में मतदान करने प्रलोभन देने और मारपीट, धमकी देना तथा आईटी एक्ट समेत तमाम मामलों में केस दर्ज किए जाते हैं।
मामलों की विवेचना की जा रही
इस बार विधानसभा चुनाव में 19 आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। सभी मामलों की विवेचना की जा रही है।
छत्तीसगढ़: पहली बार विधानसभा चुनाव में केस की संख्या हुई दोगुनी, ऐसे दर्ज हुए मामले
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