नई दिल्ली: चेक बाउंस की परेशानी से लोगों को राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नियम में संशोधन किया है। कोर्ट ने कहा है कि सेक्शन 143 ए के प्रावधान केवल नेगोशिएबल इंस्घ्ट्रूमेंट एक्घ्ट (एनआई) एक्ट के 2018 संशोधन के बाद दर्ज मामलों में लागू होंगे। कोर्ट ने एनआई एक्ट के सेक्शन 143 ए के तहत चेक बाउंस के लंबित मामलों पर कहा है कि इस धारा के तहत शिकायतकर्ता को 20 फीसदी मुआवजा मिलेगा। न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने सुनवाई के दौरान मद्रास उच्च न्यायालय के फरवरी 2019 के एक आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें आरोपी (जी.जे राजा) को शिकायतकर्ता (तेजरात सुराणा) को 20 फीसदी अंतरिम मुआवजा देने का आदेश जारी किया था।
दिसंबर 2018 में चेन्नई कोर्ट ने राजा को कहा था कि वह संधोधित एनआई एक्ट के सेक्शन 143 ए के तहत शिकायतकर्ता को चेक अमाउंट की कुल राशि की 20 फीसदी रकम का भुगतान करे। इसके बाद उन्होंने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने इस आदेश पर रोक तो लगा दी लेकिन अंतरिम मुआवजे की राशि को 20 फीसदी से 15 फीसदी कर दिया। सेक्शन 143 ए के प्रावधान केवल नेगोशिएबल इंस्घ्ट्रूमेंट एक्घ्ट (एनआई) एक्ट के 2018 संशोधन के बाद दर्ज मामलों में लागू होंगे। कोर्ट ने एनआई एक्ट के सेक्शन 143 ए के तहत चेक बाउंस के लंबित मामलों पर कहा है कि इस धारा के तहत शिकायतकर्ता को 20 फीसदी मुआवजा मिलेगा।