नई दिल्ली / लखनऊ : चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश किये गये महाभियोग प्रस्ताव (Impeachment Motion) को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया. बताया जा रहा है कि महाभियोग प्रस्ताव पर सात रिटायर्ड सासंदों के दस्तखत होने की वजह से राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. साथ ही बताया यह भी जा रहा है कि उपराष्ट्रपति को इस प्रस्ताव में कोई मेरिट नहीं दिखा. यानी तकनीकी आधार पर इस प्रस्ताव को खारिज किया या है. इस महाभियोग पर फैसला लेने से पहले वेंकैया नायडू ने संविधान विशेषज्ञों से काफी विचार विमर्श किया. बता दें कि कांग्रेस सहित सात विपक्षी दलों ने यह महाभियोग प्रस्ताव दिया था. इधर प्रशांत भूषण ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के पास मेरिट के आधार पर रिजेक्ट करने का अधिकार नहीं है और उसे उन्होंने असंवैधानिक बताया है. सभापति ने जो आदेश जारी किया है, वह दस पेज का है और इसमें सिलसिलेवार तरीके से खारिज करने के आधार को बताया गया है. इसमें 22 प्वाइंट्स हैं, जिसके आधार पर इस प्रस्ताव का खारिज किया गया है.
पीएल पुणिया ने कहा कि यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण मामला है. हम नहीं जानते कि इसे क्यों खारिज किया गया. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल कुछ कानूनी विशेषज्ञों से बात करेंगे और अगला कदम उठाएंगे.
सूत्रों के मुताबिक, महाभियोग पर निर्णय देने से पहले रविवार को उपराष्ट्रपति ने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के अलावा लोकसभा के महासचिव, पूर्व विधि सचिव पीके मल्होत्रा, पूर्व विधाई सचिव संजय सिंह और राज्यसभा सचिववालय के अधिकारियों से बातचीत की है. इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी से भी राय ली.
अब कांग्रेस के पास विकल्प यह है कि वह सुप्रीम कोर्ट जाएगी. गौरतलब है कि शुक्रवार को कांग्रेस सहित सात विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति नायडू को न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए महाभियोग का नोटिस दिया था.