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चीन ने UN में एक बार फिर मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित होने से बचाया, चौथी बार किया अपने वीटो पावर का इस्तेमाल

वाशिंगटन : चीन ने एक बार फिर जैश सरगना मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित होने से बचा लिया है. चीन ने यूएन (UN) में इस प्रस्ताव के विरोध में अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर ऐसा किया. खास बात यह है कि इस प्रस्ताव के पक्ष में यूके, यूएस, फ्रांस और जर्मनी पहले से ही थे. बता दें कि मसूद अजहर पुलवामा हमले का मास्टर माइंड है और फिलहाल पाकिस्तान में है. सुरक्षा परिषद में चौथी बार चीन ने वीटो का इस्तेमाल किया है. गौरतलब है कि मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर रोक लगाने के लिए चीन के पास आज रात 12.30 बजे तक का समय था. ध्यान हो कि मसूद अजहर ने पुलवामा हमला कराया था .

जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले के बाद ही भारत ने विश्व समुदाय से उसे ग्लोबल आतंकी घोषित करने की मांग की थी. भारत के अनुरोध के बाद ही यूएन में इस प्रस्ताव को लाया गया था. विदेश मंत्रालय ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि हम निराश हैं. लेकिन हम सभी उपलब्ध विकल्पों पर काम करते रहेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाए. मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि हम उन देशों के आभारी हैं जिन्होंने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की कवायद में हमारा समर्थन किया है.

इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा सेंक्शन्स कमेटी के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने लाया था. गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में जैश के फिदायीन ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर दिया था जिसमें 44 जवानों की मौत हो गई थी. इस हमले की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया था. अल कायदा सेंक्शन्स कमेटी के सदस्यों के पास प्रस्ताव पर आपत्ति जताने के लिए 10 दिनों का वक्त था. अनापत्ति की अविध बुधवार को (न्यूयॉर्क के) स्थानीय समय दोपहर तीन बजे (भारतीय समयनुसार बृहस्पतिवार रात साढ़े 12 बजे) खत्म होनी थी. उल्लेखनीय है कि चीन ने ही पहले भी तीन प्रस्तावों पर भारत की कोशिश में अड़ंगा डाला था.

बता दें कि पुलवाामा हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस हमले की निंदा की थी. उस समय भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पुलवामा हमले को लेकर जैश का नाम लिये जाने पर चीन ने अड़ंगा लगाया था. चीन ने मांग की कि पुलवामा हमले से आतंकी संगठन जैश का नाम हटाया जाए. यह जानकारी सूत्रों ने दी थी. बता दें कि पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली थी. सुरक्षा परिषद ने इस घटना के अपराधियों, षडयंत्रकर्ताओं और उन्हें धन मुहैया कराने वालों को ‘इस निंदनीय कृत्य’ के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने और न्याय के दायरे में लाने की जरूरत को रेखांकित किया.

संयुक्त राष्ट्र की 15 शक्तिशाली देशों की इस इकाई ने अपने बयान में पाकिस्तान के आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद का नाम भी लिया. इस परिषद में चीन वीटो क्षमता वाला स्थायी सदस्य है. उसने पूर्व में भारत द्वारा सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति से आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग के रास्ते में रोड़ा अटकाया था यूएनएससी की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि सुरक्षा परिषद के सदस्य 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में जघन्य और कायरान तरीके से हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें भारत के अर्धसैनिक बल के 40 जवान शहीद हो गए थे और इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.” बयान में आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरों में से एक बताया गया था.

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