बीजिंग : चीन की संसद ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए महज दो कार्यकाल की अनिवार्यता को रविवार को दो-तिहाई बहुमत से खत्म कर देश के मौजूदा राष्ट्रपति शी चिनफिंग के जीवन भर शीर्ष पद पर आसीन रहने का रास्ता साफ कर दिया है. संविधान संशोधन के बाद 64 वर्षीय शी के जीवन भर चीन का नेता बने रहने के मार्ग का अवरोध समाप्त हो गया है. फिलहाल शी का पांच साल का दूसरा कार्यकाल चल रहा है. गौरतलब है कि पिछली अधिकतम दो कार्यकाल की अनिवार्यता वाली प्रणाली में शी शासन के 10 साल पूरे होने के बाद 2023 में सेवानिवृत्त होते. पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष माओ त्से तुंग के बाद पिछले दो दशक से पार्टी के नेता दो कार्यकाल की अनिवार्यता का पालन करते रहे थे ताकि तानाशाही से बचा जा सके और एक दलीय राजनीति वाले देश में सामूहिक नेतृत्व सुनिश्चित किया जा सके. लेकिन संसद में रविवार को संविधान संशोधन पारित होने के साथ ही यह दोनों परंपराएं समाप्त हो गयीं.चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के करीब 3,000 सांसदों में से दो-तिहाई ने देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की अधिकतम दो कार्यकाल की अनिवार्यता खत्म करने के कानून को मंजूरी दी. गौरतलब है कि संसद में मतदान से पहले सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष संगठन सात सदस्यीय स्थाई समिति ने इस संशोधन को आम सहमति से मंजूरी दी थी.
चीन की संसद ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए महज दो कार्यकाल की अनिवार्यता को दो-तिहाई बहुमत से खत्म किया
मतदान से पहले एनपीसी के अध्यक्ष झांग देजिआंग ने अपनी कार्य रिपोर्ट में कहा था, ‘‘एनपीसी की स्थाई समिति का प्रत्येक सदस्य संविधान में संशोधन की मंजूरी देता है और उसका समर्थन करता है.’’ माओ के बाद शी को देश का सबसे मजबूत नेता माना जाने लगा है क्योंकि वह सीपीसी और सेना दोनों के प्रमुख तथा देश के राष्ट्रपति हैं.
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