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चीन की ताइवान को अमेरिका से नजदीकी बढ़ाने पर चेतावनी, कर लेंगे कब्जा

चीन के पड़ोसी देशों की अमेरिका से बढ़ती नजदीकी अब उसे रास नहीं आ रही है। यही वजह है कि चीन ने खुले तौर पर ताइवान को धमकी दी है कि वह अमेरिका से दूर रहे। यही नहीं चीन ने यह भी कहा है कि अगर वह उसकी बात नहीं मानता, तो उस पर कब्जा कर लिया जाएगा। दरअसल अमेरिका के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी कीथ क्रैच के दौरे के बाद चीन का यह बयान सामने आया है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के दौरे के बाद चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि शुक्रवार को लड़ाकू विमानों का ड्रिल चेतावनी देने के लिए नहीं था, बल्कि ताइवान पर कब्जे का रिहर्सल था। दरअसल चीन ने बीते शुक्रवार को शक्ति प्रदर्शन करते हुए ताइवान के क्षेत्र में लड़ाकू जेट समेत 18 विमान उड़ाए थे और अब चेतावनी भी जारी की है।

इसके अलावा कम्युनिस्ट सरकार के मुखपत्र में यह भी कहा गया है कि ताइवान की स्वतंत्रता खत्म होने वाली है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि वह युद्ध से पीछे नहीं हटता और इसके लिए उसने भारत सीमा का भी जिक्र किया है। चीनी अखबर ने आए दिन होने वाले अमेरिकी दौरों को लेकर कहा है कि हर बार जब कोई अमेरिकी अधिकारी ताइवान आए, तो पीएलए के लड़ाकू विमानों को आइलैंड की ओर आगे बढ़ाना चाहिए।

इसके अलावा चीन की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर अमेरिका के रक्षा या विदेश मंत्री ताइवान आते हैं, तो इसके लड़ाकू विमान आइलैंड के ऊपर उड़ें और मिसाइलें राष्ट्रपति ऑफिस के ऊपर से। अगर ताइवान प्रशासन आक्रामकता दिखाता है, तो यह सच होगा।

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस सैन्य अभ्यास ने दो अहम सिग्नल दिए हैं, जिसमें से पहला तो ये है कि यह विरोध अमेरिका और ताइवान के बीच मिलीभगत को लेकर है, जबकि दूसरा यह कि पीएलए की प्रतिक्रिया काफी तेज है। जबकि ताइवान की ओर से भी अमेरिकी अधिकारी के दौरे को गोपनीय रखा था लेकिन जब चीन को यह बात पता चली, तो उसने कब्जे की चेतावनी जारी कर दी।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मुखपत्र ने कहा है कि इस और पुराने युद्धाभ्यासों से पीएलए ने ताइवान पर हमले का अनुभव हासिल कर लिया है। यह ताइवान पर कब्जे को लेकर रिहर्सल है। केवल एक राजनीतिक वजह की आवश्यकता है, जिससे ये अभ्यास वास्तविक युद्ध में बदल जाएंगे। ताइवान स्ट्रेट में अशांति की सबसे बड़ी मजह ये है कि अमेरिका से उसकी दोस्ती काफी गहरी हो रही है। अमेरिका को यहां से दूर रखने पर कोई भी कदम उठाया जा सकता है।

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