नई दिल्ली: चीनी को लेकर आस्ट्रेलिया भारत से दो-दो हाथ करना चाहता है। आस्ट्रेलिया को दिक्कत है कि भारत अपने चीनी किसानों एवं उत्पादकों को सब्सिडी देता है। यही वजह है कि आस्ट्रेलिया ने भारत के साथ चीनी के व्यापार को लेकर अपनी लड़ाई तेज कर दी है और उसने औपचारिक रूप से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से एक समिति का गठन करने का आग्रह किया है। मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक आस्ट्रेलिया ने डब्ल्यूटीओ से यह जांच करने का अनुरोध किया है कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश कहीं कृषि सब्सिडी संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन तो नहीं कर रहा है।
मार्च में आस्ट्रेलिया इस मुद्दे पर ब्राजील के साथ आ गया था और उसने डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज की थी। आस्ट्रेलिया का आरोप है कि भारत द्वारा चीनी किसानों को लगातार सब्सिडी दी जा रही है जिससे वैश्विक स्तर पर चीनी की भरमार हो गई है जिससे बाजार में इसकी कीमतें नीचे आई हैं। आस्ट्रेलिया ने ब्राजील और ग्वाटेमाला के साथ मिलकर डब्ल्यूटीओ से विवाद निपटान के लिए समिति बनाने को कहा है कि जो इस बात की जांच करे कि भारत द्वारा इस मुद्दे पर प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन तो नहीं किया जा रहा है।
आस्ट्रेलिया की वित्तीय समीक्षा रिपोर्ट में व्यापार मंत्री साइमन बर्मिंघम के हवाले से कहा गया है कि भारत से उसकी चिंताओं को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए हैं और वह अपनी डब्ल्यूटीओ प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करते हुए लगातार सब्सिडी दे रहा है। वैसे भी दुनिया के विकसित देश भारत में किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में लगातार आवाज उठाते रहते हैं। उनका कहना है कि भारत की तरफ से सब्सिडी प्रथा को जारी रखना डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन है। अमेरिका जैसे देश तो निर्यातकों को दी जाने वाली सब्सिडी के मामले में भी भारत के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में आवाज उठा चुके हैं।