अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चार हजार से अधिक ग्राम पंचायतों ने विकास एवं अन्य मानकों पर आत्मनिर्भरता अर्जित करने के लिए ‘मॉडल विलेज’ की श्रेणी में शामिल होने की पहल की है।
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हीरा लाल की अगुवाई में देशव्यापी स्तर पर शुरु किये गये ‘मॉडल विलेज’ अभियान के तहत प्रदेश के 4210 गांवों में सक्रिय समूहों ने पंजीकरण करा लिया है।
लाल ने सोमवार को यूनीवार्ता को बताया कि बीते एक साल में 31 जनवरी तक न सिर्फ 4210 ग्राम पंचायतों ने अपने गांव को आदर्श ग्राम बनाने के लिये ‘मॉडल विलेज’ की संकल्पना को अपनाया है बल्कि इस मॉडल के तहत पहले चरण के रूप में 2809 ग्राम पंचायतों ने अपने ‘ग्राम घोषणा पत्र’ (विलेज मेनीफेस्टो) बनाकर उसका पालन करना भी शुरु कर दिया है।
लाल ने मॉडल विलेज परियोजना की सालाना रिपोर्ट के आधार पर बताया कि उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे बुंदेलखंड क्षेत्र के गांवों ने ‘मॉडल विलेज’ के दायरे में आने की सर्वाधिक पहल की है।
रिपोर्ट के अनुसार इस अभियान में शामिल होने के लिये पंजीकरण कराने वाली सर्वाधिक 499 ग्राम पंचायतें बांदा में सामने आयीं जबकि जालौन में 98, हमीरपुर में 88 और झांसी जनपद में 72 ग्राम पंचायतों ने ‘मॉडल विलेज’ बनने के लिये पंजीकरण कराया है।
बुंदेलखंड के अलावा बहराइच जिले में 270 ग्राम पंचायतों ने, जबकि बरेली में 185, बस्ती में 172 और अयोध्या में 163 ग्राम पंचायतों ने मॉडल विलेज बनने की पहल में खुद को शामिल किया है।
उल्लेखनीय है कि 2018 से 2020 तक बांदा के जिलाधिकारी रहे लाल ने बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में नागरिक सुविधायें उन्नत करने और सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन से निजात दिलाने के लियेे मॉडल गांव अभियान का आगाज किया था।
लाल इस समय उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अतिरिक्त प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।
उन्होंने इसके तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्रामीण युवाओं के छोटे छोेटे समूहा के माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा और सफाई सहित अन्य मूलभूत जरूरतों को गांव के स्तर पर ही उन्नत करने के कुछ मानक तय करते हुये मॉडल गांव बनाने की पहल शुरु की थी।