रांची : अविभाजित बिहार के सबसे बड़े घोटाला चारा घोटाला के चाईबासा कोषागार से फर्जी कागजात के आधार पर 37.70 करोड़ रुपये की निकासी मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने बुधवार को 16 दोषियों को सजा सुनायी. इनमें 11 लोगों को तीन-तीन साल की सजा सुनायी. जबकि पांच अन्य को 4-4 साल की सजा सुनायी गयी. इन लोगों पर अधिकतम 7 लाख और न्यूनतम 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है.चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले के दूसरे पूरक मामले के 17 आरोपियों में से 16 को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया था. इन्हें सीबीआइ के विशेष जज एसएन मिश्रा ने बुधवार को सजा सुनायी गयी. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को इस मामले में पहले ही सजा हो चुकी है.
ट्रायल फेस कर रहे एक आरोपी शेरुन निशां की तबीयत खराब होने की वजह से उनके मामले में सुनवाई नहीं हो सकी. चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये की निकासी मामले में सीबीआइ ने 20 आरोपियों के खिलाफ बाद में आरोप पत्र दाखिल किया था.इस मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव समेत 46 अभियुक्तों को अदालत ने सजा सुनायी है. सुनवाई के दौरान तीन आरोपियों का निधन हो गया. इन आरोपियों के खिलाफ पूरक अभिलेख के तहत मामले की सुनवाई चल रही है. वहीं, मूल अभिलेख का निष्पादन सितंबर, 2013 में हो चुका है, जिसमें लालू प्रसाद समेत 46 अभियुक्तों को अदालत ने सजा सुनायी. चाईबासा कोषागार से फर्जी कागजात के आधार पर निकासी के इस मामले में आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र के तहत धोखाधड़ी और सरकारी पद का दुरुपयोग करने का आरोप है. इस मामले में दवा आपूर्तिकर्ता अनिल कुमार सिंह, संजीव कुमार बासुदेव, मोहम्मद सईद, सलाउर्र रहमान सहित कुल 17 आरोपी हैं. 18 फरवरी, 2019 को दिल्ली में पदस्थापित प्रशासनिक अधिकारी अमित खरे की गवाही पूरी होने के बाद अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज किये थे.
उमेश दुबे, महेंद्र कुमार कुंदन, आदित्य जोरदार, विमल कुमार अग्रवाल, बृज किशोर अग्रवाल, राम अवतार शर्मा, राजेंद्र कुमार हरित, संजीव कुमार बासुदेव, किशोर कुमार झा, बसंत कुमार सिंह, मधु, अपर्णीता कुंडू, सहदेव प्रसाद, लालमोहन गोप, भरतेश्वर नारायण लाल और अनिल कुमार को सजा सुनायी गयी.लालू प्रसाद यादव इन दिनों रांची में अपनी सजा काट रहे हैं. बीमार होने की वजह से वह रिम्स में भर्ती हैं. चारा घोटाला मामले में लालू यादव पहली बार 30 जुलाई, 1997 को जेल गये थे. बाद में उन्हें 12 दिसंबर, 1997 को रिहा कर दिया गया. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री पर 5 अप्रैल, 2000 को आरोप तय किया गया था. वर्ष 2017 में रांची स्थिति सीबीआइ की विशेष अदालत ने उन्हें सजा सुनायी और लालू प्रसाद यादव तब से जेल में बंद हैं.