देहरादून : अटल आयुष्मान योजना का आगाज होने के चंद महीनों के बाद ही इसे घपलों के ‘वायरस’ ने अपनी चपेट में ले लिया। हालांकि योजना का शुभारंभ करने से पहले सरकार ने दावा किया था कि इसमें भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। इसके लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की बात कही गई थी, लेकिन निजी अस्पतालों ने मोटी कमाई करने के लिए योजना को दागदार करने की कोशिश की। एक साल के भीतर ही प्रदेश के 13 निजी अस्पतालों में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। जिसमें अस्पतालों ने कार्ड धारक मरीजों से इलाज का पैसा वसूलने के लिए सरकार से भी क्लेम किया। अटल आयुष्मान योजना में एक साल के भीतर ही देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले के 13 निजी अस्पतालों में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। जब मरीजों के निशुल्क इलाज, क्लेम के लिए लगाए गए बिलों में सिस्टम ने फर्जीवाड़ा पकड़ा तो सरकार ने ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की।
योजना से अनुबंध निरस्त करने के साथ ही अस्पतालों में गलत ढंग से क्लेम लेने पर पैनाल्टी भी लगाई गई। राज्य आयुष्मान योजना की जांच में यह भी पाया गया कि निजी अस्पतालों ने मोटी कमाई करने के लिए सामान्य रूप से बीमार मरीज को भी इमरजेंसी में भर्ती कर लिया। वहीं, सरकारी अस्पतालों से मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया गया। जो डॉक्टर संविदा पर सरकारी अस्पतालों में कार्यरत हैं। वही डॉक्टर निजी अस्पतालों में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सरकारी अस्पताल में इलाज न कर मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर कर इलाज किया गया। आस्था हॉस्पिटल काशीपुर, प्रिया हॉस्पिटल हरिद्वार, जन सेवा काशीपुर, कृष्ण हॉस्पिटल रुद्रपुर, अली नर्सिंग हॉस्पिटल काशीपुर, जीवन ज्योति हॉस्पिटल हरिद्वार, विनोद आर्थो हॉस्पिटल देहरादून, देवकी नंदन काशीपुर, बृजेश हॉस्पिटल रामनगर, एमपी मेमोरियल काशीपुर, जसपुर मेट्रो हॉस्पिटल, सोहता सुपर हॉस्पिटल जसपुर, आरोग्यम मेडिकल काॅलेज एंड हॉस्पिटल रुड़की। जसपुर मेट्रो हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड धारक 15 मरीजों को इलाज कराया गया। लेकिन इन मरीजों से अस्पताल ने 1.41 लाख रुपये लिए और सरकार से भी मरीजों को निशुल्क इलाज कराने का क्लेम लिया। सहोता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल जसपुर में एक मात्र स्त्री रोग विशेषज्ञ हॉ. नवप्रीत कौर सहोता हैं। जो राजकीय एलडी भट्ट चिकित्सालय में भी संविदा पर पूर्णकालिक स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत है। योजना में हॉस्पिटल में नौ मामलों में सिजेरियन प्रसव हुए। इनमें छह मामलों में नवजात शिशुओं को नियोनेटल आईसीयू में भर्ती किया गया। देवकी नंदन हॉस्पिटल काशीपुर में एक मरीज की तीन अप्रैल 2019 को सर्जरी की गई और अगले ही दिन मरीज को डिस्चार्ज किया गया। उसी मरीज को 12 अप्रैल को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया और 20 अप्रैल 2019 को मरीज के उपचार के लिए प्री-ऑथराइजेशन की अनुमति ली गई। जबकि सर्जरी करने से पहले ऑनलाइन अनुमति लेनी जरूरी होती है। इसी तरह के चार मामलों में मरीजों की पहले सर्जरी फिर डिस्चार्ज और बाद में भर्ती दिखाया गया।
बृजेश हॉस्पिटल रामनगर में किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीज दिनेश लाल से 15 हजार आपरेशन फीस ली गई। मरीज से बेड चार्ज और दवाईयों के पैसे नहीं लिए गए। मरीज को डिस्चार्ज करते समय 1200 रुपये की दवाईयों के पैसे लिए गए। जबकि आयुष्मान योजना में कार्ड धारक मरीज को पांच लाख रुपये का कैशलेस इलाज की सुविधा है। आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों से प्रतिदिन 200 से 250 क्लेम भुगतान के मामले आ रहे हैं। क्लेम के बिल प्राप्त होेते ही उसी दिन ऑडिट किया जाएगा। जिससे बिलों में गड़बड़ी तत्काल पकड़ में आ जाए। जिन अस्पतालों के क्लेम सही है। उनका भुगतान सात दिन के भीतर किया जाएगा। गलत ढंग से भेजे गए क्लेम को जांच के बाद निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। आयुष्मान योजना में गड़बड़ी करने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। जांच में 13 अस्पतालों में गड़बड़ी सही पाए जाने पर योजना से अनुबंध निरस्त कर गलत ढंग से क्लेम लेने पर पेनल्टी लगाई गई हैं। योजना में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए राज्य स्तर पर जांच कमेटी गठित है। कमेटी की प्रत्येक अस्पताल में मरीजों को दिए जाने वाले इलाज और क्लेम पर नजर है।