कोलकाता: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रेपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों को देने के लिए बैंकों को मनाएगा। पिछले मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में भी रेट घटाने के बाद उसने ऐसा ही किया था। दरअसल, पहले कई बार रेट घटाने के बाद आरबीआई के मौखिक रूप से कर्ज सस्ता करने को कहने के बावजूद बैंकों ने ऐसा नहीं किया था। इससे मॉनिटरी पॉलिसी टूल के रूप में रेपो रेट में कटौती के असर पर संदेह बढ़ रहा है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस साल रेपो रेट में 0.25 फीसदी की दूसरी कटौती करने के बाद कहा, इसका फायदा ग्राहकों को दिलाने के लिए हम बैंकों से बात करेंगे और उसका तरीका निकालेंगे।
पॉलिसी के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, श्हम जानते हैं कि रेट कट का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाना होगा। पिछली मीटिंग के बाद भी हमने सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों से इस बारे में बात की थी। इसके बाद बैंकों ने 0.10 फीसदी तक की कटौती मार्जिन कॉस्ट बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) में की थी लेकिन उन्हें कर्ज कहीं ज्यादा सस्ता करना होगा। किसी भी बैंक ने फरवरी की मॉनिटरी पॉलिसी में आरबीआई के रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती के बाद एमसीएलआर नहीं घटाया था। इसके बाद आरबीआई ने बातचीत करके उन्हें इसके लिए मनाया। फरवरी की पॉलिसी के बाद देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने कहने को होम लोन रेट में 0.05 फीसदी की कटौती की थी लेकिन उसने एमसीएलआर में बदलाव नहीं किया था। इसे देखते हुए कई जानकार अब रेपो रेट के असरदार हथियार होने पर सवाल उठा रहे हैं।