नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ का विदेशी अशंदान विनियमन अधिनियम के तहत पंजीकरण बहाल कर दिया है जिससे अब वह विदेशों से निधि प्राप्त कर सकेगा और बैंकों में रखे धन का भी उपयोग कर सकेगा। मंत्रालय ने कुछ दिनों पहले ‘प्रतिकूल सूचनाएं’ मिलने के बाद इसका एफसीआरए पंजीकरण रद्द कर दिया था।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि एफसीआरए लाइसेंस बहाल होने के बाद कोलकाता स्थित यह संगठन विदेशों से निधि प्राप्त कर सकेगा और साथ ही बैंकों में रखा धन खर्च कर सकेगा। मिशनरीज ऑफ चैरिटी एक कैथोलिक धार्मिक संगठन है जिसकी स्थापना नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा ने गरीबों और बेसहारों की मदद करने के लिए 1950 में की थी। गृह मंत्रालय ने 27 दिसंबर को कहा था कि उसने कुछ ‘प्रतिकूल सूचनाएं’ मिलने के बाद मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया है।
उसने यह भी कहा था कि उसने मिशनीज ऑफ चैरिटी का कोई खाता जब्त नहीं किया है लेकिन भारतीय स्टेट बैंक ने उसे बताया है कि एनजीओ ने अपने खातों पर रोक लगाने के लिए खुद बैंक को अनुरोध भेजा है। इस मामले के सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बैंक खातों को कथित तौर पर जब्त करने के लिए सरकार की आलोचना की थी।
गृह मंत्रालय की कार्रवाई के बाद ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सभी जिलाधीशों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे कि राज्य में चल रही मिशनरीज ऑफ चैरिटी की किसी भी ईकाई को कोई वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े और अगर जरूरत पड़ती है तो उनकी मदद करने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष का इस्तेमाल किया जाए। पटनायक ने संगठन को राज्य में दर्जनों संस्थाओं को चलाने के लिए 78 लाख रुपये भी दिए थे।