नई दिल्ली: के उत्तरी ब्लॉक में इन दिनों राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है. ये नई चरण की शुरुआत का संकेत है लेकिन इसमें सबसे ज्यादा सक्रिय गृह मंत्रालय दिख रहा है. पिछले हफ्ते अमित शाह के गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद से ही यहां राज्यपाल, मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों का आना जाना लगा है. अब तक, केंद्र में हर सरकार के तहत महत्वपूर्ण होने के मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय के बाद वित्त मंत्रालय ही आता था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आखिरी कार्यकाल में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ही सत्ता की शक्ति के केंद्र में थे.
मंगलवार को सिलसिलेवार रूप से अमित शाह के कार्यालय में बैठकें हुईं. इनमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य और रेल मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल रहे. किसी ने भी मीटिंग के एजेंडा के बारे में नहीं खुलासा नहीं किया. पीयूष गोयल ने कहा, “मैं यहां मंत्री के साथ कॉफी पीने आया था” पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मजाक में कहा, “मैं चाय और बिस्कुट के लिए आया था.” हांलाकि उन्होंने गंभीरता से बताया कि अमित शाह का पार्टी प्रमुख होने के नाते, मंत्रियों और नेताओं से मिलना बेहद स्वाभाविक था. सूत्रों ने बाद में कहा कि बैठक में नीति आयोग के अधिकारी भी शामिल थे और इसमें पेट्रोलियम के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की गई थी. राजनाथ सिंह के काम कर चुके एक ब्यूरोक्रेट बताते हैं “यह पहली बार है जब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के तहत इस तरह की अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित की गई है. आखिरी गृह मंत्री के कार्यकाल में, गृह मंत्रालय के मामलों से संबंधित अंतर-मंत्रालयी बैठकों के अलावा, ऐसी बैठकें मुश्किल से होती थीं” राजनाथ सिंह अब निर्मला सीतारमण की जगह लेकर रक्षा मंत्री बने हैं और वह देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बन गई हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि अमित शाह की बैठकें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद उनके मुख्य भूमिका में होने का संकेत देती हैं. मंत्रालय के एक ब्यूरोक्रेट ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “पिछले दो वर्षों में, ब्यूरोक्रेट्स ने मुद्दों पर निर्णय लिया और निर्णय लेने की प्रक्रिया कुछ धीमी हो गई,
लेकिन अब उनमें एक नई तरह की ऊर्जा है.” लगभग दो दशकों तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी विश्वासपात्र रहे शाह ने पिछले दो चुनावों में उनके इर्द-गिर्द भूमिका तैयार करने में अहम रोल निभाया है. हालांकि शाह के मंत्रिमंडल में शामिल होने का सवाल 2014 में उठा था, लेकिन इक्का-दुक्का राजनेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह राष्ट्रीय स्तर की सत्ता में आने के अभी लिए तैयार नहीं है. जब वह राज्यसभा में पहुंचे और यही सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मुझे धक्का मत दीजिए.” इस बार तमाम अटकलों के बाद उन्हें देश का नया गृह मंत्री नामित किया गया है. इससे पहले सदर वल्लभ भाई पटेल को देश के सबसे निर्णायक गृह मंत्रियों में से एक माना जाता था. सालों बाद लालकृष्ण आडवाणी ने भी इसी तरह का उदाहरण पेश करने की कोशिश की थी.