नई दिल्ली: भारत की ऑटो इंडस्ट्री अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, जहां पिछले 5 माह से वाहनों की बिक्री लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इसकी वजह से दिल्ली एनसीआर में करीब 35 हजार कार गोदाम में खड़ी हैं, जिन्हें खरीदार नहीं मिल रहे हैं। साथ ही मानसून सीजन की वजह से भी अगले कुछ माह में कारों की बिक्री में तेजी की उम्मीद नहीं दिख रही है।
फरीदाबाद स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजीव चावला ने बताया कि अगले साल से मात्र बीएस-6 इमिशन नॉर्म्स वाली गाड़ियों ही बिकेंगी। ऐसे में कोई भी ऑटो मैन्युफैक्चरर्स नई कार के प्रोडक्शन का रिस्क नहीं ले रहा है, क्योंकि गोदाम में पहले से ही 35 हजार अनसोल्ड वाहन खड़े हैं, जिन्हें मार्च 2020 तक हर हाल में बेचना है, क्योंकि मार्च 2020 के बाद बीएस-6 के अलावा बाकी कारों को भारत में नहीं बेचा जा सकेगा।
चावला के मुताबिक देश में आमतौर पर सबसे ज्यादा कार नवरात्र से लेकर दीवाली के सीजन (अक्टूबर-नवंबर) के दौरान बिकती है। हालांकि इस बार कार स्टॉक फेस्टिवल सीजन में खत्म करना बड़ा चैलेंज होगा। ऐसे में नई कारों के उत्पादन का सवाल ही नहीं उठता है। प्रोडक्शन न होने से ऑटो सेक्टर की नौकरियों में छंटनी का दौर शुरू हो गया है। इसमें छोटे कर्मचारी से लेकर मैनेजमेंट तक के लोग शामिल हैं।कार पार्ट के छोटे सप्लायर से का धंधा भी प्रभावित हो रहा है। कार निर्माता कंपनियों ने उनसे पार्ट लेने मना कर दिए हैं। इसकी वजह से छोटी यूनिटों में भी छंटनी का दौर शुरू हो गया है।
चावला बताते हैं कि ऑटो पार्ट की फरीदाबाद, नोएडा और गुरूग्राम समेत मैन्युफैक्चरिंग कंपनीघ्घ्घ्घ् में जहां दो शिफ्ट में कार होता था। वहां अब एक शिफ्ट में काम हो रहा या फिर पूरी तरह से काम को बंद कर दिया गया है। इसके चलते यहां भी बड़े पैमाने पर नौकरियों में छंटनी हो रही है। राजीव चावला मुताबिक ऑटो सेक्टर से जुड़े करीब 25 प्रतिशत लोग अब तक बेरोजगार हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि अगले कुछ माह में यह हालात और भी खराब हो सकते हैं। वहीं कार की बिक्री में अगले साल तक सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है।