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नीट के टॉपर्स ले रहे प्राइवेट कॉलेजो में सीट जबकि सरकारी मेडिकल में एडमिशन मिल चुका,क्या यह मेडिकल माफिया का गठबंधन है !

लखनऊ : मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए होने वाली नीट परीक्षा 2018 (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) के कई टॉपर्स सरकारी कॉलेजों में सीटें अलॉट हाेने के बावजूद निजी कॉलेजों में रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि ऐन मौके पर ये निजी कॉलेजों की सीट छोड़ देंगे। फिर निजी कॉलेज इन खाली हुई सीटों को कॉलेज लेवल काउंसलिंग के जरिए भारी भरकम (50 लाख या इससे भी ज्यादा) पैसे लेकर भरेंगे। अच्छी रैंक वालों को लालच देकर मुनाफा कमाते हैं दलाल: वहीं नीट में गड़बड़ियों के कई मामले उजागर कर चुके रीवा के विसलब्लोवर विवेक पांडे मीडिया को बताते हैं कि निजी मेडिकल कॉलेजों के दलाल दो स्तर पर काम करते हैं। पहले नीट के छात्रों का डेटा हासिल कर उन्हें निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिलाने के मैसेज भेजते हैं। फिर मेडिकल कोचिंग के हब कोटा में सक्रिय दलाल कोचिंग सेंटर से प्रतिभाशाली छात्रों की जानकारी लेकर उनके संपर्क में रहते हैं। नीट में अच्छी रैंक हासिल करने वाले छात्रों को 2 से 4 लाख रु. का लालच देकर हवाई जहाज से बेंगलुरु ले जाया जाता है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करवाकर उन्हें वापस भेज देते हैं। जाहिर है नीट में अच्छे नंबर होने के कारण सीट भी अलॉट हो जाती है। प्रवेश की आखिरी तारीख 30 सितंबर तक यह छात्र नाम वापस ले लेते हैं और खाली हुई सीटें 50 से 70 लाख में बिक जाती हैं।

कर्नाटक के बी आर आंबेडकर मेडिकल कॉलेज ने नहीं रखा पक्ष: दूसरे राज्यों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पा चुके छात्रों के सबसे ज्यादा एडमिशन कर्नाटक के बी आर आंबेडकर मेडिकल कॉलेज में हुए हैं। ऐसा क्यों हो रहा है, इसे जानने के लिए भास्कर ने पूरे मामले की जानकारी देकर मेल पर कॉलेज से जवाब मांगा, लेकिन प्रबंधन ने अपना पक्ष नहीं रखा।

ये हैं कुछ प्रमुख मामले

1. राजस्थान: पहले सरकारी में एडमिशन, फिर रजिस्ट्रेशन: राजस्थान में 7 जुलाई को हुई काउंसलिंग में अरविंद सिंह डागर को बीकानेर, मोहम्मद इरफान को जोधपुर, रिशिता शर्मा को अजमेर के सरकारी कॉलेज में प्रवेश मिल चुका था। इन्होंने 24 जुलाई को कर्नाटक में भी रजिस्ट्रेशन करवाया और अगस्त में इन सभी छात्रों को सीट भी अलॉट हो गई हैं।
2.बिहार : अच्छी रैंक वाले भी प्राइवेट के चक्कर में: बिहार में नीट में 539 नंबर लाने वालों को सरकारी कॉलेज मिल गए हैं, लेकिन कर्नाटक की अलॉटमेंट सूची देखें तो अच्छी रैंक हासिल करने वाले अंकेश प्रभाकर, राज नारायण सिन्हा, चंद्रकांत अग्रवाल, राहुल कुमार जैसे कई नाम इसमें नजर आ जाएंगे।
3.उत्तरप्रदेश: 535 नंबर वाले अच्छे छात्रों का यही हाल: यहां के कई मूल निवासी छात्र जैसे मनीष कुमार, अभिनव कुमार, आलोक सिंह कर्नाटक की अलॉटमेंट सूची में हैं, जबकि यूपी में नीट में 535 नंबर लाने वाले छात्रों को सरकारी कॉलेज मिल चुके हैं। यूपी और कर्नाटक की अलॉटमेंट लिस्ट का मिलान करें तो सीट ब्लॉक के खेल में लगे प्रमुख 3-4 मेडिकल कॉलेजों के नाम सामने आ जाएंगे।

कर्नाटक ही क्यों: कभी सीटे ब्लॉक करने का यह खेल महाराष्ट्र के निजी मेडिकल कॉलेजों में भी खूब होता था। लेकिन महाराष्ट्र में प्रवेश के लिए वहां का मूल निवासी होने और 10वीं, 12वीं भी महाराष्ट्र से ही पास होने के नियम के चलते वहां यह सिलसिला थम गया है। मध्यप्रदेश में भी व्यापमं घोटाले के बाद हुई सख्ती के बाद इस पर काफी लगाम लगी है। सीटें ब्लॉक करने का खेल यूपी के भी कुछ निजी मेडिकल कॉलेजों में होता है, लेकिन सबसे ज्यादा 39 मेडिकल कॉलेज वाला कर्नाटक फिलहाल सिरमौर बना हुआ है। कुछ छात्रों के मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों की सूची में नाम होने पर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज जयपुर के वाइस प्रिंसिपल डॉक्टर एमएस शर्मा ने बताया कि पड़ोसी राज्यों के सीमावर्ती जिलों में मूल निवासी के दोहरे प्रमाण पत्र बनवा लेना आसान हैं। ऐसे ही मार्कशीट गुम जाने की पुलिस रिपोर्ट करवाकर हाईस्कूल की एक और मार्कशीट बनवा ली जाती है। दो राज्यों में अप्लाई करने के लिए इन्हीं दस्तावेजों का प्रयोग होता है। कई बार तो रंगीन फोटो कॉपी का भी उपयोग करते हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि दस्तावेजों की जांच बहुत सावधानी से की जाए।

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